पहली कोशिश - पहचान हमारी भली बने
अगली कोशिश फिर - पहचान यह बनी रहे
पहली कोशिश - पहचान हमारी अच्छी बने
दूजी कोशिश फिर - पहचान यह बनी रहे
बीती अच्छी बात ज़िंदगी में - लौट नहीं फिर आती है
भूल उसे करें अच्छे पुरुषार्थ तो - अच्छी नई बात आती है ज़रूर
कितने भी हों समर्थ - बिन सहायता के जी न पाते हैं
भगवान , इसलिए नारी और पुरुष - दोनों बनाते हैं
हमारा हक़ीक़त नहीं कहना हमारे इश्क़ में - अच्छा नहीं होता
हक़ीक़त सुन खफ़ा हुआ - साफ़ है वह हमसे इश्क़ नहीं करता
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