आईना मैं - क्या दिखाऊँ मुझे ड्यूटी ना समझाओ
नज़रें दुरुस्त करके - ख़ुद ज़माने को समझ जाओ
श्मशान रोज जाने कि इल्तिजा क्या कीजिये
श्मशान पर ही सफ़र ख़त्म होगा जान लीजिये
अच्छा कि इश्क़ का हम में - इक़रार होना अभी बाकि था
हमारा इश्क़ - रूहानी मोहब्बत का दर्जा पास कर रहा था
चाँद की तमन्ना करो तो - मिलेगा अमावस की रात में भी
अंधकार में ज्ञानी के ज्ञान का होना - खत्म होता नहीं कभी
नज़रें दुरुस्त करके - ख़ुद ज़माने को समझ जाओ
श्मशान रोज जाने कि इल्तिजा क्या कीजिये
श्मशान पर ही सफ़र ख़त्म होगा जान लीजिये
अच्छा कि इश्क़ का हम में - इक़रार होना अभी बाकि था
हमारा इश्क़ - रूहानी मोहब्बत का दर्जा पास कर रहा था
चाँद की तमन्ना करो तो - मिलेगा अमावस की रात में भी
अंधकार में ज्ञानी के ज्ञान का होना - खत्म होता नहीं कभी
ज़िंदगी की डगर पर - आगे मैं चल रहा था
इंसान हूँ ना - आगे की बताना फ़र्ज मेरा था
ताल्लुक हम रखें या न रखें किसी से - अहमियत कुछ नहीं
अहम यह है कि - हमारे दौर का इंसा , इंसान होना चाहिए
अपनी ख़ुशी के लिए ख़्वाहिश होना तो - आम बात है
ज़िक्र उस ख़्वाहिश का हो - फ़िक्र जिसमें आम की हो
इंसान हूँ ना - आगे की बताना फ़र्ज मेरा था
ताल्लुक हम रखें या न रखें किसी से - अहमियत कुछ नहीं
अहम यह है कि - हमारे दौर का इंसा , इंसान होना चाहिए
अपनी ख़ुशी के लिए ख़्वाहिश होना तो - आम बात है
ज़िक्र उस ख़्वाहिश का हो - फ़िक्र जिसमें आम की हो
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