Tuesday, May 22, 2018

आईना मैं - क्या दिखाऊँ मुझे ड्यूटी ना  समझाओ
नज़रें दुरुस्त करके - ख़ुद  ज़माने को समझ जाओ

श्मशान रोज जाने कि इल्तिजा क्या कीजिये
श्मशान पर ही सफ़र ख़त्म होगा जान लीजिये

अच्छा कि इश्क़ का हम में - इक़रार होना अभी बाकि था
हमारा इश्क़ - रूहानी मोहब्बत का दर्जा पास कर रहा था

चाँद की तमन्ना करो तो -  मिलेगा अमावस की रात में भी
अंधकार में ज्ञानी के ज्ञान का होना - खत्म होता नहीं कभी

ज़िंदगी की डगर पर - आगे मैं चल रहा था 

इंसान हूँ ना - आगे की ब
ताना फ़र्ज मेरा था




ज़िंदगी की डगर पर - आगे मैं चल रहा था


इंसान हूँ ना - आगे की बताना फ़र्ज मेरा था
ज़िंदगी की डगर पर - आगे मैं चल रहा था
इंसान हूँ ना - आगे की बताना फ़र्ज मेरा था

ताल्लुक हम रखें या न रखें किसी से - अहमियत कुछ नहीं
अहम यह है कि - हमारे दौर का इंसा , इंसान होना चाहिए

अपनी ख़ुशी के लिए  ख़्वाहिश होना तो - आम बात है
ज़िक्र उस ख़्वाहिश का हो - फ़िक्र जिसमें आम की हो







No comments:

Post a Comment