Sunday, May 20, 2018

परस्पर दोषारोपित करने की संस्कृति अच्छा परिणाम नहीं देती है
वह सिर्फ भव्य भारतवर्ष को - समस्याग्रस्त भारत में बदल देती है

नारी जीवन अभिशप्त लगता - उन बातों पर विचार आज कर लो
परम हितैषी भारतीय संस्कृति - गरिमा की बुनियाद आज रख दो

काश अपनी संस्कृति में नारी को सम्मान - समानता हम दे देते
पाश्चात्य संस्कृति का अपने समाज में प्रवेश अवरुध्द कर देते

अनेकों नारी विरुध्द बातों को अपने समाज से स्वयं हम दूर कर देते
पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित कर शोषण करने वाले सफ़ल न होते

हमारी नज़र को आपने कम पहचाना है
ख़्वाब आपका क्या हमने अनकहे जाना है

मिलते हैं आज लोग - गैजेट्स से आँकने लगते हैं
सादगी से जो रहते हैं - उन्हें सस्ता मानने लगते हैं

पल पल श्वासें घटने का हमें गिला नहीं होता
गरइंसान बनकर औरों का भला किया होता 





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