मतलब निकलता रहे - तब तक ज़माना यार है
जब पड़े मुश्किलों में तो - खो जाता यहाँ यार है
रहो औरों के मतलब के - कि मिलता रहे प्यार तुम्हें
हर पल इंसान कोई भी - एकसा नहीं रहता
कॉम्बिनेशन बातों के होने का , पल पल बदलता है
सौ दफा हम सोचते हैं - दगबाज़ 101 दफा सोच लेता है
तभी ज़माने में हमारा पाला - दगाबाज़ से पड़ते रहता है
औरों के लिए करते , जी लिए जो लम्हें
वही ज़िंदगी का हासिल है
खुद के लिए जी लेने से हासिल की अहमियत
भला औरों के लिए क्या है
आपकी मर्जी का हक़ - आपको ही ना दे सकें
गुस्ताख़ ऐसे न कभी थे - ना ही कभी होंगे हम
धुंध से आने और धुंध में जाने के बीच
है ज़िंदगी जिसे इंसानियत से जीना है
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