Tuesday, May 22, 2018

इश्क़ में क़ामयाबी

इश्क़ में क़ामयाबी  ...

-------------------------

आपने , हमें ना जाने कहाँ देख लिया था। ना जाने कहाँ से हमारा नाम पता कर लिया था। आपकी फ्रेंड रिक्वेस्ट को हमने इग्नोर कर रखा था , हम अपरिचितों को लिस्ट में जोड़ने का खतरा नहीं लेते। आपने जबरन जुड़ने का कोई प्रयास भी नहीं किया था। बावज़ूद इस सबके हमें लगता था , आप हमें फॉलो कर रहे हैं। हमें लगता था आपके पोस्ट में सिर्फ हम ही हैं - बहुत अच्छे से याद है हमें , जिस दिन रिक्वेस्ट सेंड की थी उस दिन कि आपकी पोस्ट ऐसी थीं  -
1. "इश्क़ हुआ है मुझे , मगर अभी कच्चा है 
इंसान उसमें और मुझमें - अभी बच्चा है"
2. "इश्क़ का उससे इज़हार - मैं उस दिन कर पाऊँगा 
जिस दिन उसे और खुद को - इक-दूजे के क़ाबिल बनाऊँगा"
आपकी रिक्वेस्ट ऐसे ही पड़ी रही , मगर आपकी वॉल पर हम लगभग रोज ही झाँक लिया करते थे। ऐसा करते हुए हमें यह भी लगता कि आप हमारी वॉल पर अक्सर होते हैं। एक आँखमिचौली सी हममें - आपमें चलने लगी थी। आप की पोस्ट , हमें अपनी पोस्ट पर का आपका कमेंट लगता या हमारी पोस्ट आपकी पोस्ट का रिप्लाई होता। आप मोटिवेशनल लिखने लगे थे। हमें लगता था , हममें - हमारी सोच में करेक्शन को प्रेरित कर रहे हैं। आप हमारे पीछे लगे रहने में वक़्त बर्बाद नहीं कर रहे थे। बल्कि वक़्त का प्रयोग फेसबुक पोस्ट की माध्यम से - हममें  क्षमता और हमारे में निहित संभावनाओं का परिचय हमसे करवाने में कर  रहे थे। आप ख़ुद भी अपने व्यक्तित्व में निरंतर निखार लाने में व्यस्त होते थे। हमें याद है टवेल्थ के एग्ज़ाम और एंट्रेंस एग्ज़ाम के समय आप वॉल पर ख़ामोश हो गए थे। जिस दिन IIT में आप ने प्रवेश लिया - उस दिन का स्टेटस आपने इस सूचना के बाद यह लिखा - 
3. "इश्क़ मेरा अब पक सकेगा और मीठा होगा 
बंदा इकदिन - अपनी माशूका के क़ाबिल होगा"
आप पढ़ने में व्यस्त थे मगर रेगुलर इंटरवल में आपकी पोस्ट आती रहीं थीं - बहुधा उसमें किसी लड़की के भीतर छिपी प्रतिभा का जिक्र होता था। हमें लगता कि यह निश्चित ही हमें टारगेट कर लिखी जा रही हैं - फेसबुक को माध्यम लेकर ,"हममें क्या होता हुआ हमें क्या बनता देखना आपको पसंद है" आप अप्रत्यक्ष यह इशारा दे रहे थे।  हम पर ये सब पोस्ट किसी मंत्र की तरह प्रभाव करते जा रहे थे - उसके प्रभाव में हम ज्यादा पढ़ने लगे थे। हम में एक असुरक्षा का भय व्याप्त हो गया था , हमें लगने लगा कि आप बहुत क़ाबिल होकर निकलेंगे और हम भी कुछ नहीं बन सके तो हमारा मिलना संभव नहीं होगा। यह भय एक चमत्कारिक परिणाम बन के सामने आ गया। आपके IIT में प्रवेश लेने के एक साल बाद ही , IIT में प्रवेश लेने का कारनामा हमने भी कर दिखाया। आपसे एकतरफा चल रहा इश्क़ का असर जादुई था - इसके बिना कभी हम यह नहीं कर सकते थे। हम उस दिन बे-इंतहा ख़ुश थे। हमारे परिवार में सब क्या सोचेंगे - इससे बेफ़िक्र आपकी तर्ज पर हमने भी एक स्टेटस लिख डाला। 
"आपसे अप्रत्यक्ष हुआ इश्क़ - आज रंग लाया
हम नहीं कर सकते थे - हमने वह कर दिखाया"
ख़ैर आपने ,हमें सेंड किया फ्रेंड रिक्वेस्ट न तो कैंसिल ही किया था - और ना हमने इसे एक्सेप्ट ही किया था। ऐसा शायद हम दोनों ने समझ लिया था कि हमारा रिश्ता फ्रेंड होने से ऊपर पहुँच गया था - उस तरह के रिश्ते के लिए फेसबुक प्रॉविजन ही नहीं था ... 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
23-05-2018
https://www.facebook.com/narichetnasamman/


No comments:

Post a Comment