Thursday, May 24, 2018

रूहानी मोहब्बत

रूहानी मोहब्बत ....

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हमने चाहा कि हम भी उसी IIT में पहुँचते , लेकिन अभी किस्मत को मंज़ूर नहीं हुआ कि हम मिलते। हममें अधैर्य , हमें विचलित सा कर रहा था , किंतु आपमें का धैर्यवान पुरुष अविचलित था। आपकी किसी पोस्ट से कहीं कोई जल्दबाज़ी परिलक्षित नहीं होती थी। आप इश्क़ को सहज उस तरह पका रहे थे - जैसे पेड़ पर पूरा पक कर आम मज़ा देता है। तभी आपने एक दिन डरा देने वाली पोस्ट डाल दी
"हादसे अगर हों - और भले इस ज़िंदगी में हम नहीं मिल पायें
हसरत मगर कि - मेरे हुज़ूर ज़िंदगी जीने के क़ाबिल बन जायें "
पढ़कर हमारा नारी सुलभ भावुक मन घबड़ा गया। एक दो दिन लग गए थे हमें घबराहट से उभरने में। फिर हमारी नज़रों में इश्क़ का पाक़ मंज़र साफ़ हो गया। आपका हमारी खुशियों के प्रति फ़िक्रवान होना हमें समझ आ गया। अब तक तो सिर्फ तसव्वुर ही था हमारा कि आप सब हमारे लिए लिखते हैं। कहीं नहीं था कोई प्रूफ़ कि आप हमसे इश्क़ करते हैं. लेक़िन
"आप मेहरबां मेरे - आपको हम कैसे बतलायें 
 अपुष्ट इश्क़ में हमारे - इक मज़ा अनोखा है"

आप हमें चाहते हैं या आपकी दर्शित हो रही चाहत किसी और के लिए है यह तो बाद कि ज़िंदगी में हमें पता होने वाला था। किंतु हमारी छोटी समझ में यह आ गया था कि यह इश्क़ बेमिसाल होगा जो - मध्दिम आँच में धीरे धीरे मगर निरंतर पक रहा है। एकबारगी ख़्वाब सा लगता यह सब - हमें मालूम था यदि यह हक़ीक़त हुआ तो हम दोनों को बेमिसाल सच्चा और अच्छा इंसान बनाएगा।
मालूम नहीं कि आप हमारे तरफ से फेसबुक पर किसी पोस्ट का इंतजार करते थे या नहीं किंतु हम व्यग्रता से आपकी पोस्ट का इंतजार किया करते थे। जब आप वॉल पर ख़ामोश रहते तो हम अनुमान यह लगाते कि पढ़ाई का भार अभी ज्यादा हो गया है। यह हमारा विचार , हमें भी पढ़ने में एकाग्र चित्त कर दिया करता था।
जिंदगी में चल रहा अभी वक़्त , बेहद बेहतरीन था। हम कम्प्यूटर साइंस में ही प्रवीण नहीं हो रहे थे अपितु रूहानी मोहब्बत का मतलब जानने में समर्थ हो रहे थे। इकतरफा हमारे इश्क़ में हमारी बेचैनी अब ना रही थी बल्कि हमें चैन इस बात से आ गया था कि
"अच्छा कि इश्क़ का हममें - इक़रार होना अभी बाकि था
इश्क़ हमारा- रूहानी मोहब्बत का दर्जा पास कर रहा था"

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
24-05-2018
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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