Friday, May 11, 2018

पा लिया होता तुम्हें - इक दिन खोना पड़ता
 ऐसे पा लेने से बेहतर - तुम्हें पाया ही नहीं

ना भूलो उन्हें - जिसकी याद इतना लिखवाती है
 भूल गए उन्हें तो - लोग तुम्हें पढ़ने को तरसेंगे

चार दिनी ज़िंदगी में वक़्त - पल पल गुजरता जाता है
 कुछ और में गुजर जाता - गर तेरी याद में न गुजरता

मिला है जो , सहज मिल रहा है जो - उसमें ख़ुश रहना है
 बहुत अच्छा हमें मिले की कामना रखने वाले बहुत हैं यहाँ


बहुत दिया ज़िंदगी ने साथ - उसका शुक्रिया
 अस्सी साल वर्ना - कम ही हैं जो जिया करते हैं

जिन बातों से आज इम्प्रेस होते हैं सब - हममें हैं ही नहीं
 हमने अपने इम्प्रैशन के लिए - वक़्त जाया करना छोड़ दिया

अपनी खातिर छीना झपटी के लिए वक़्त - जाया करना ठीक नहीं
 ज़िंदगी मेरी अपनी है- उसे नाम देने के लिए मिला वक़्त कम है

ठोकर को सही नज़रिए से देखो तो - सिखला जाती है
कुछ ठोकरों के बाद - ज़िंदगी फिर नहीं ठोकर खाती है

साफ़ देखने के लिए - भाषा नहीं विज़न जरूरी है
विज़न नहीं हमें तो भाषा - कुछ कर सकती नहीं

सच कहने की हिम्मत नहीं कर सके हम
क्यूँकि सच सुनना उन्हें बर्दाश्त नहीं होता

कभी मासूमियत - कभी उसकी खूबसूरती को चाँद हम बताते थे
बेचारी वह जब तक माशूका थी , बीबी नहीं हुई थी हमारी

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