Friday, May 18, 2018

जो मिला उसकी अहमियत क्या , पहचानी नहीं
परिंदा घर को और इंसान पर को , तरसता रहा

आडंबर जुटा पाने में असफल - अगर मलाल नहीं करें तो
सादगी का सच्चा जीवन जीने में - हम सफल हो सकते हैं


पारस सी कोई तासीर नहीं- पारस भी एक तसव्वुर ही तो है
अन्यथा जिन्दगानियाँ सब , दुनिया भी सब - सोने की होती


सृष्टि की देन - मरना ही है फिर भी जन्मना तो है
मगर मरने से पहले अच्छा ही - कुछ करना तो है


पारस गर होता , वह अमावस नहीं होता
चाँदनी से मिलकर , चाँद होता - वह अमावस नहीं होता


टूट , गिर ही जाना है तब भी फूल खिलते हैं
टूटने के पहले - सबके लिए भरपूर महकते हैं

जो देना है उसे वही दे लेने दो
कूवत हमारी होगी - उसमें भी खुश रह लेंगे

ज़िंदगी मुस्कुराने से - हमें रोकती कब है
हम पर है कि मुश्किलों में भी मुस्कुराना न भूलें

प्रेम - कभी पागलपन नहीं होता
जरूरत प्रेम से नहीं , प्रेम के झाँसे से बचने की है

माशूका रही तब तक - चाँद वह लगा करती थी
बेचारी बेगम हुई - तुम्हें चाँद कोई और लगने लगी

#जिन्हें_घमंड_आश्रयदाता_होने_का
हर समय कोई आश्रयदाता या आश्रित नहीं
भूमिकायें हैं - जीवन में बदलती रहती हैं

बहुत सवाल नहीं - एक का जबाब खोजते हैं
हर इंसान - क्यों , आज इंसान होता नहीं ??

मुझसा ,दूसरा ढूँढने की जरूरत तुम्हें क्या थी
हम मिले थे , इस ज़िंदगी के लिए बहुत नहीं था ??






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