जिम्मेदार इंसान की पहचान ..
क्षमायाचना सहित मेरी बात - पोस्ट पर अगर भाषा सयंमित है तो उसे हमें कटुता में नहीं लेना चाहिए , बुध्दिजीवी के समक्ष बात रखी जायेगी तो कई पहलू आना स्वाभाविक होते हैं। हमें यह भूल कतई नहीं करना चाहिए कि हमने आज तक जो सोचा है / किया है बस वही सही है। जहाँ तक बात नारी विषयक है वह किसी भी मजहब - सम्प्रदाय से परे हो जाती है। हर मजहब- संप्रदाय में नारी भी है , और दकियानूसी सोच और रिवाजों को वह भुगतती आ रही है। कहीं कहीं तो अपनी सहज आज़ादी खोकर भी उसे उफ़ तक कर लेने का हक़ नहीं। बदलाव 50 साल पूर्व स्वीकार कर लेना बुध्दिमत्ता है। नारी - पुरुष को समान नहीं मानने के चलन अब इससे ज्यादा शायद ही चलें। हमें अपने पक्ष की पुष्टि के अभाव में हताशा से फेसबुक से दूर नहीं होना चाहिए , अपितु संपूर्ण न्यायप्रियता सहित बदले स्वरूप में सामने आना चाहिए । यही किसी जिम्मेदार इंसान की पहचान होती है।
-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
21-05-2018
क्षमायाचना सहित मेरी बात - पोस्ट पर अगर भाषा सयंमित है तो उसे हमें कटुता में नहीं लेना चाहिए , बुध्दिजीवी के समक्ष बात रखी जायेगी तो कई पहलू आना स्वाभाविक होते हैं। हमें यह भूल कतई नहीं करना चाहिए कि हमने आज तक जो सोचा है / किया है बस वही सही है। जहाँ तक बात नारी विषयक है वह किसी भी मजहब - सम्प्रदाय से परे हो जाती है। हर मजहब- संप्रदाय में नारी भी है , और दकियानूसी सोच और रिवाजों को वह भुगतती आ रही है। कहीं कहीं तो अपनी सहज आज़ादी खोकर भी उसे उफ़ तक कर लेने का हक़ नहीं। बदलाव 50 साल पूर्व स्वीकार कर लेना बुध्दिमत्ता है। नारी - पुरुष को समान नहीं मानने के चलन अब इससे ज्यादा शायद ही चलें। हमें अपने पक्ष की पुष्टि के अभाव में हताशा से फेसबुक से दूर नहीं होना चाहिए , अपितु संपूर्ण न्यायप्रियता सहित बदले स्वरूप में सामने आना चाहिए । यही किसी जिम्मेदार इंसान की पहचान होती है।
-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
21-05-2018
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