Friday, October 23, 2015

नारी सम्मान-संघर्ष

नारी सम्मान-संघर्ष
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प्रारम्भ से साथ रह वह ,करती आई परिवार के लिए
अच्छे का श्रेय तुम लेते , ना शिकवा उसे इसके लिए
दोषों को उस पर थोपने की कुरीत से परेशान हुई वह
विवश किया तुमने उसे ,नारी सम्मान-संघर्ष के लिए

चरित्र अगर बिगड़ा वह ,अकेले नारी से नहीं होता है
सहनशीलता से ज्यादा दुःख , सहन किससे होता है?
नहीं कर सकी जो वह ,तुम्हारा अपमान नहीं होता है
स्व-विवेक से जो किया वह ,त्रिया चरित्र नहीं होता है
परिस्थितियों और विवशताओं में उनसे बना , किया
तुम निष्पक्ष हो ना देख सके , वह न्याय नहीं होता है
--राजेश जैन
24-10-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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