Tuesday, October 20, 2015

कुछ मेरा ,कुछ तुम्हारा -प्यार

कुछ मेरा ,कुछ तुम्हारा -प्यार
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मैं लगी तुम्हें दुनिया से प्यारी
मुझे लगा तुमसा ,चाहता ना कोई है
माँ-पापा का मान रहे ,रही मेरी चाह
तुम्हें मन में ,दहेज़ अभिलाषा ना कोई है
परिवार में सबका मैं आदर करती
तुम्हें पसंद कि मेरा आदर करता हर कोई है 
विचार कि सुख मिले परस्पर एक दूसरे को
अपनी खुशी के लिए ,खींचतान ना कोई है
आ गई मुझमें उम्र जनित रूप शिथिलता
बेफिक्र तुम ,तुम्हारे प्यार में ,कमी ना कोई है
आजीवन मधुर साथ रहे ,तुम्हारी चिंता
तुम्हें स्वयं अपने लिए ,चिंता ना कोई है
मेरी तुम्हारे बीच की अंतरंगता है निजी
प्रगट साथ के आलावा ,वासना ना कोई है
--राजेश जैन
21-10-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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