Saturday, October 10, 2015

नारी-पुरुष रति चाह

नारी-पुरुष रति चाह
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नारी-पुरुष रति चाह , पति-पत्नी में ख़ुशी देती है
सभी सुंदर से संबंध ,पिपासा से तृप्ति न होती है
भूख ,कुछ भोजन से समय समय की पूरी होती है
पूरा भोज्य मै खाऊँ की तृष्णा में तृप्ति न होती है

दूसरे की थाली के अच्छे व्यंजन देख झपट जाना
माँसल , बलिष्ठ तन देख नीयत ख़राब हो जाना 
स्वयं के भोजन या विवाहित साथी पर है अन्याय
बेहतर इससे अपने में अच्छाइयों को परख जाना

फेसबुक से पहले ,मनोरुग्णता की माप नहीं थी
कई के कामातुर मन में क्या ऐसी भाँप नहीं थी

सोशल साइट्स से यद्यपि रुग्ण चाहत प्रकट हुई है
किन्तु स्वस्थ मन को चंगुल से बचने को सीख दी है
काम-रुग्णता मीडिया ,फिल्म-वीडियोस ने फैलाई है
उसे थामने उपाय करें ,यह चुनौती पीढ़ी को बताई है
--राजेश जैन
11-10-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman



 

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