Thursday, October 22, 2015

उषा ,किरण ,संध्या ,निशा और सूरज

उषा ,किरण ,संध्या ,निशा और सूरज
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आने से उषा अस्तित्व पाती है
उसको छूकर किरणें बिखर जाती है
ऊष्मा उसमें से पर्याप्त फैलती तब
शीतलता देने के लिए संध्या आती है

वह चला जाता तब निशा का अंधकार छा जाता है
दूर करने अगले दिन सूरज को फिर आना पड़ता है
सूरज ,नहीं है कामी पुरुष ,कई नारी नहीं भोगता है
सूरज ,नारी साथ लेकर जगकल्याण किया करता है
--राजेश जैन
23-10-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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