Saturday, August 15, 2020

वैतरणी पार .. एपिसोड IV

 

एपिसोड IV-  पिकनिक, मंतव्य सिद्धि 

रविवार को रानी झाँसी चौक पर निर्धारित समय पर, हम छहों एकत्रित होते हैं। फिर शहर से तीस किमी दूर वॉटरफॉल पर जाने के लिए, मेरी एवं रिया की कारों में हम रवाना होते हैं। रिया की कार में लड़कियाँ एवं मेरी कार में सुजीत और अभिनव होते हैं। 
हम वॉटरफॉल पहुँच कर, घंटों मस्ती करते हुए वहाँ की खूबसूरती का आनंद उठाते हैं। वैतरणी के उल्लासित मुख-मुद्रा एवं भाव-भंगिमा साफ़ गवाही देती है कि ऐसी मजा-मस्ती का, उसके जीवन में यह पहला पहला मौका है।
अति उत्साहित वह ऐसी खतरनाक जगह जाने को होती है जहाँ, थोड़ी सी असावधानी किसी को भी चालीस फिट नीचे की धारा में गिरा सकती है। 
मेरे आगाह करने पर कि वैतरणी, तुम्हें इस वर्ष भी टॉप करने के लिए जीवित रहना है, वह अपने कदम रोक लेती है। बाकि सभी इस बात पर अट्टाहास लगाते हैं। 
हम सब डीवीडी प्लेयर पर बज रहे इंग्लिश सांग्स पर थिरकते हुए, अपने साथ लाये भोज्य एवं पेय का आनंद लेते हैं। वैतरणी डांस में साथ नहीं दे पाती है। उसने यह सब कभी किया ही नहीं है। उसने सिर्फ पढ़ना और सादगी से रहना ही, जीवन का होना, जाना हुआ है। 
लड़कियाँ मस्ती करने के लिए उसे साथ खींचती हैं मगर नृत्य नहीं कर पाने से वैतरणी संकोचवश, उनसे बचते हुए एक तरफ हो जाती है। 
जब मौज मस्ती हो चुकती है तब मैं, अपने प्रयोजन पर पर आते हुए सभी को शाँत रहने का इशारा करते हुए कहता हूँ - 
मैं - आज के दिन को याद रखने के लिए आओ अब, हम एक सार्थक चर्चा करते हैं। 
सब मुझे देखने लगते हैं तब मैं कहता हूँ - अभी तक हम अपने पेरेंट्स के साथ घरों में रहते हैं। जहाँ हमें मार्गदर्शन एवं सुरक्षा उनसे मिलती है। कुछ महीनों में, हमारी स्कूली शिक्षा पूर्ण होगी और हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल रहे तो इसके बाद की हमारी शिक्षा, राष्ट्र स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों में देश के विभिन्न महानगरों में होगी। 
सुजाता - सो तो है, लेकिन हम समझ नहीं पा रहे हैं कि यहाँ के नयनाभिराम प्राकृतिक परिदृश्य का आनंद लेने के स्थान पर, तुम किस तरह की चर्चा करना चाहते हो?
मैं - मैं, यह कहना चाहता हूँ कि उन संस्थानों में हमें, छात्रावास में रहना होगा। जहाँ हमारे पेरेंट्स साथ नहीं होंगे। जहाँ हमारे आसपास अनेकों बुराइयाँ होंगी, जिनसे हमें बचना होगा एवं अपनी शिक्षा पूर्ण करनी होगी। 
सुजीत - मगर वहाँ पढ़ने जाने वाले हम पहले स्टूडेंट तो होंगे नहीं ? सब जाते हैं एवं शिक्षा पूर्ण करते हैं, वैसे हम भी कर लेंगे। 
मैं - मैं, यह कहना चाहता हूँ कि सब शिक्षा तो पूरी करते हैं मगर साथ साथ अनेक बुराइयों में भी लिप्त हो जाते हैं। अगर आज हम गंभीरता से उन पर विचार कर सकें एवं साथ में ऐसे संकल्प लें कि बुराइयों से खुद को बचायेंगे तो यह आज के दिन की हमारी उपलब्धि होगी। जो हमें अपने जीवन में विशिष्ट स्थान दिलाएगी। 
वैतरणी - उन बुराइयों से बचना तो, जैसी परिस्थिति बनेगी उस अनुसार हमारे बचाव के उपाय करने से संभव हो जाएगा। 
मैं - वैतरणी, तुम्हें तो बाहरी दुनिया का सबसे कम ज्ञान है। मेरी सबसे बड़ी चिंता तो आज तुम्हें लेकर ही है। 
रिया - टॉपर, तुम कहना जो चाहते हो, वह स्पष्ट कहो। 
मैं - वास्तव में हम उस बुराई से बचने में असमर्थ होते हैं जिनके स्वरूप या होने का पूर्व ज्ञान, हमें नहीं होता है। 
सुजाता - अर्थात तुम यह कहना चाहते हो कि जिन बुराई का स्वरूप हमारे ज्ञान में होता है, उससे हमारा बचना, हमारे लिए सहज-सुलभ होता है? 
मैं - हाँ, सुजाता ठीक यही मै, कहना चाहता हूँ। 
अभिनव - टॉपर, तुम्हें क्या मालूम है कि वहाँ क्या बुराइयाँ होंगी ?
मैं - हॉस्टल में स्मोकिंग, ड्रिंक्स जिसमें लड़कियाँ भी सम्मिलित होती हैं, जुआँ, चोरी, तस्करी, ड्रग्स की लत ऐसी तमाम तरह की बुराई होती हैं। इनके साथ ही ओपन रिलेशनशिप में पड़ना, वहाँ हमारे स्टडीज की दृष्टि से बड़ा डिस्ट्रैक्शन होता हैं। 
रिया - हम इसमें खुद से नहीं जाना चाहें तो कोई हमसे, जबरदस्ती थोड़ी कर सकेगा। 
मैं - नहीं रिया, यहाँ समझने वाली बात यह है कि जो, जिस बुराई में स्वयं लिप्त हो जाता है। वह यह चाहता है कि अन्य भी उस बुराई में पड़ जायें। उन बिगड़े लोगों में, ठीक वह मनोविज्ञान काम करता है कि "जिसकी एक आँख फूटी होती है वह सभी की एक आँख फूटी देखना चाहता है"। 
वैतरणी - मगर कोई एक, सबकी आँख तो नहीं फोड़ सकता है, ना!  उसके चाहने से क्या होगा ?
मैं - सबकी आँख फोड़ना जरूर असंभव होगा लेकिन मैं, विशेष रूप से जिन ज्यादा बड़ी बुराई पर चर्चा करना चाहता हूँ वे दो हैं - एक ओपन रिलेशनशिप, दूसरा नशे के ड्रग्स लेना। यह दोनों ही बुराई किसी शैतान के चाहने से आसानी से फैलती हैं। जैसे किसी को कोकीन, हेरोइन नशा एक बार करा दिया जाए तो अगली बार वह खुद से इसे ढूँढने लगता है। 
जबकि किसी को शारीरिक संबंध को उत्सुक करना तो और भी सरल होता है। यह काम कोई भी, अपने संपर्क के टीन एजर्स को वल्गेर वीडियो (या लिंक) उनके मोबाइल पर भेजकर कर सकता है। जिन्हें देख देख युवाओं में काम आवेश पैदा होता है फिर उन्हें, अवैध संबंधों में लिप्त करना आसान हो जाता है।

अभिनव - (प्रतिरोध के स्वर में) तुम्हें, इन लड़कियों के सामने ऐसी बात नहीं करना चाहिए, टॉपर। 
मैं - बिलकुल अभिनव, सही कह रहे हो तुम। मगर ये लड़कियाँ कल हॉस्टलर होंगी। तब इनमें लड़की-लड़का भेद खत्म हो जाएगा। अतः मेरा उद्देश्य उसके पहले ही इन्हें, बुराई देख-समझने के समर्थ बनाना है ताकि ये उनसे बचाव कर सकें एवं अपने पेरेंट्स के, उन्हें लेकर देखे सपने साकार कर सकें। 
वैतरणी - (अप्रत्याशित रूप से) टॉपर, ऐसा कोई वीडियो दिखा सकते हो तो मैं देखना चाहती हूँ। 
मैं (मन ही मन खुश होते हुए) - मेरे मोबाइल पर सिर्फ एक है, वह बी ग्रेड फिल्म का है। यदि अन्य लड़कियों को आपत्ति न हो तो मैं दिखा सकता हूँ। 
रिया एवं सुजाता ने एक साथ ही कहती हैं - जानकारी की दृष्टि से हम देखना चाहेंगी। 
तब मैंने अपने मोबाइल पर तीन मिनट का वीडियो क्लिप, खोला एवं लड़कियों को देकर, हम लड़के अलग चले गए। लड़कियों ने उसे देखा। जिसमें एक लड़का एवं एक लड़की तीव्र काम आवेग से लिपटते चिपकते दिखते हैं। 
कुछ समय बाद तीनों लड़कियां हमारे पास आईं। सुजाता ने मेरा मोबाइल वापिस करते हुए कहा - सच है, टॉपर इस तरह के वीडियो से किसी भी युवा का नियंत्रण अपने पर से खत्म हो सकता है। ऐसा होने पर उसका, किसी के द्वारा यौन शोषण कर लिए जाने के प्रयोजन को, सरलता से सिध्द कर सकता है। धन्यवाद, हमें बुराई की बानगी दिखाने के लिए, टॉपर। शायद इसकी जानकारी हमें किसी के ख़राब प्रयोजन से बचाने में सहायक होगी। 
मैंने ( उत्साहित होकर) - सुजाता, वास्तव में इस वीडियो क्लिप से अत्यंत अधिक खतरनाक वीडियोस आज सुगम हुए हैं। आप तीनों समझ सकती हैं कि जिन लड़कियों को, ऐसे वीडियो देखने की लत हो जाए वे अपने सँस्कार भूल कर शोषण को उपलब्ध हो सकती हैं। 
फिर हम लोगों ने पिकनिक से वापसी की। उस रात हम डिनर पर फिर इकट्ठे हुए। वास्तव में, मेरी अन्य फ्रेंड्स में तब कोई रूचि नहीं रह गई थी। आगे के दिनों में वैतरणी पर, पिकनिक का असर देखना मेरी जिज्ञासा थी। जिस पर ही यह निर्भर करता था कि मैं स्कूल टॉपर हो सकने में सफल हो सकूँगा या नहीं ? 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
15-08-2020

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