Saturday, August 15, 2020

वैतरणी पार .. एपिसोड III

 

एपिसोड  III - योजना क्रियांवयन 

अगले दिन केंटीन में मैंने, अपने मित्र सुजीत, अभिनव, रिया एवं सुजाता से कॉफी की चुस्कियों के बीच कहा -
मैं - माना की बारहँवी है, मगर क्या सिर्फ पढ़ना हमें, उबाता नहीं है?
सुजाता - (झूठे ही दयनीय भाव चेहरे पर लाते हुए) बिलकुल उबाता है मगर अभी हम रोमांस करने लगें तो फिसड्डी रह जाएंगे, ना !
रिया (मजाक करते हुए) - सुजाता मैं तो फिसड्डी भी रहना पसंद कर लूँ, अगर (मेरे तरफ देखते हुए) ये मुझसे प्यार करने लगे (फिर मुझे आँख मार कर, हँसते हुए) क्या तुम करोगे मुझसे प्यार?
मैं - तुम लड़कियों को प्यार के अलावा कुछ सूझता नहीं मगर देखो, तुम्हीं में से एक लड़की, वैतरणी है जिसे पढ़ने के अलावा कुछ नहीं सूझता है। 
अभिनव - (विचारपूर्वक मुस्कुराते हुए) तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे कि अगर, वैतरणी मान जाये तो तुम उससे प्यार करना चाहते हो?
मैं - वैतरणी के सुंदर डिंपल देख उसे प्यार करने का, भला किसका दिल नहीं चाहेगा किंतु वैतरणी से प्यार की बात तो बहुत दूर है। अभी मैं बोलूँ कि इस रविवार, वॉटर फॉल में पिकनिक के लिए उसे, मनाओ तो कोई ऐसा तक करके तो दिखा न सकेगा। 
सुजीत - तुम शर्त लगाओ तो सुजाता यह काम कर सकती है। वैतरणी, कक्षा में जिसे मुहँ लगाती है, वह सिर्फ एक सुजाता ही तो है। 
सुजाता - बोलो टॉपर (स्टूडेंट्स में रियल टॉपर वैतरणी और ख्याली टॉपर के रूप में मुझे जाना जाता था) तुम, शर्त लगाते हो तो यह कठिन चुनौती मैं लेती हूँ। 
मैं - चलो, अगर यह किया तो रविवार को वॉटर फॉल पर पिकनिक एवं उस रात्रि का फाइव स्टार डिनर मेरी तरफ से। 
रिया - चल, सुजाता करके दिखा नहीं तो डिनर तुझे कराना होगा, है मंजूर ?
सुजाता - मालूम नहीं था कि यह कंजूस, मुझे फँसा देगा। अब फँस ही गई हूँ (उदास दिखने का अभिनय करते हुए) तो प्रयास करना ही पड़ेगा। 
अभिनव - (ख़ुशी प्रकट करते हुए) रिया, सुजीत और मैं तो अब मजा लेंगे। वैतरणी आये या न आये सिरदर्द एवं पिकनिक/डिनर का ठेका, तुम दोनों का ही है। 
बाद में, उस दिन छुट्टी के बाद कॉलेज बस से घर लौटते हुए सुजाता, सप्रयास वैतरणी के बाजू की सीट पर जा बैठती है। वैतरणी के चेहरे के भाव से यूँ लगता है, जैसे वह किसी लेक्चर पर मनन कर रही हो। 
सुजाता उससे पूछती है - वैतरणी, कुछ सोच रही हो या अभी भी पढ़ाई ही चल रही है ?
वैतरणी - (झेंपते हुए, झूठ कहती है) नहीं, थक सी गईं हूँ इसलिए चुप हूँ। 
सुजाता - मैं एक ऐसा आइडिया बताती हूँ जिससे तुम्हारी, सारी थकान भाग जायेगी और आँखों में सुंदर सपने तैरने लगेगें। 
वैतरणी - (उत्सुकता से) ऐसा क्या आइडिया है?
सुजाता - रविवार वॉटर फॉल पर मुफ्त पिकनिक एवं उस रात्रि फाइव स्टार में मुफ्त डिनर है, अगर तू हमारे साथ आना चाहे तो!
वैतरणी - पापा से मैं, इसकी अनुमति ना ले सकूँगी, सॉरी सुजाता। 
सुजाता - देखो वैतरणी, तुम इतने सालों से, हमारे साथ पढ़ रही हो कभी कोई यादगार हमें लेकर रह जाए, तुमने ऐसा कोई कार्य किया नहीं है। अब, कुछ महीने ही बचे हैं फिर स्कूल छूट जाएगा। आगे हममें से कौन कहाँ पढ़ने जाएगा पता नहीं। यही मौका है, फिर तो एग्जाम करीब होते जाना है। आज, ना कहा तो फिर कोई और ऐसा अवसर तुम्हें कभी ना मिलेगा।
वैतरणी - (मुझे सांत्वना सी देते हुए) सुजाता, बुरा न मान। मैं आज पापा से पूछूँगी। यह तो मगर बता कि पिकनिक में, कौन कौन साथ होंगे?
सुजाता - तुम, रिया, अभिनव, सुजीत, टॉपर और मैं !
वैतरणी - कंपनी तो अच्छी है, सुजाता मैं कोशिश करती हूँ, मगर चलने का पक्का घर में पूछने के बाद, कल ही बता सकूँगी। 
सुजाता - ठीक है 
(कहकर हँसती है और स्टॉपेज आ जाने से, सुजाता उठकर बाय कहते हुए चली जाती है।) 

कठिन बाधा 

उस शाम वैतरणी पापा से पूछती है - पापा, इस रविवार को, साथ के कुछ अच्छे स्टूडेंट्स वॉटरफॉल पिकनिक एवं फाइव स्टार डिनर पर जा रहे हैं। मुझे भी साथ चलने को पूछा है। आप बताओ, मुझे जाना चाहिए या नहीं। 
पापा - बेटी, उससे तुम्हारे पढ़ने पर कोई बुरा असर न पड़े तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। 
वैतरणी - पापा, एक दिन न पढ़ने से कोई असर नहीं पड़ेगा। वास्तव में, मैं उत्सुक इसलिए हूँ कि कुछ महीने बाद स्कूल एवं ये संगी-साथी छूट जायेंगे। इतने वर्षों में हर ऐसे अवसर को, मै नकारते आईं हूँ। मुझे लगता है, इसके बाद ऐसा मौका फिर ना आएगा। 
पापा - वैतरणी, एक दिन न पढ़ने से तुम जैसी कुशाग्र छात्रा का कुछ नहीं बिगड़ता है। मैं इस तरह से फिक्रमंद हूँ कि उस एक दिन में ऐसा कुछ न हो, जिससे आगे के दिनों पर उसका बुरा प्रभाव जाये। 
वैतरणी - पापा, मैं समझ रही हूँ कि आप क्या कह रहे हैं। पापा, ये फ्रेंड्स स्वयं ही मेरे जैसे पढ़ने वाले हैं अतः उनकी ओर से मुझे कोई खतरा नहीं दिखता है। 
पापा - बेटी, फिर ठीक है। कितना खर्च होगा, बताओ मैं तुम्हें कल दे दूँगा। 
वैतरणी - पापा, शायद मुझे कुछ नहीं देना होगा। ये सब अति धनवान घरों के लड़के-लड़कियाँ हैं। ये जानते हैं, ज्यादा खर्चे की बात पर मैं, ना कर देती हूँ। लगता है उनमें कोई शर्त हारा है, इससे सारे खर्चे का जिम्मा उस पर है।पापा - ठीक है बेटी, पर मुझे शंका ऐसी ही बात पर होती है कि कोई तुम पर, बिना प्रयोजन क्यों हजारों रूपये खर्च करेगा?
वैतरणी - (जैसे जाने को मर रही हो) पापा, मैं हर साल की टॉपर हूँ ना, अतः मेरे साथ दिखना हमारे साथ के स्टूडेंट्स में दीवानगी की तरह चलती है, इसलिए बस पापा। 
पापा - (हल्के से हँसकर, अपनी अन्यमनस्कता छुपाते हुए) हाँ, वैतरणी यह बात तो है। 
वैतरणी - पापा, आप तनिक भी चिंता ना कीजिये, रविवार को होने वाली एक एक बात मैं, आपको बताऊँगी। 
अगले दिन वैतरणी, सुजाता से पिकनिक के लिए अपनी सहमति कहती है तब सुजाता हर्षातिरेक में क्लास में ही वैतरणी को साथ लेकर थिरकने लगती है। वैतरणी को नृत्य नहीं आता है अतः उसके पग अजीब तरह से पड़ते हैं। अन्य सारे स्टूडेंट्स, इसे देख कई तरह के कयास लगाते हैं। जबकि सुजीत, रिया, अभिनव एवं मुझे सब समझ आ जाता है। मैं, अपनी योजना को सफल होते देखता हूँ। तब मेरे मन में, एक विजेता के से भाव आते हैं। 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
15-08-2020

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