Thursday, August 20, 2020

 उसने दूर से देखा था उसे

ज्यादा अपने से सुखी पाया

तज कर सहज सुख अपने

वह कृत्रिम सुख के पास आया


भ्रम था उसे मृग मरीचिका सा

दूर से लगे उसे ढोल सुहावने थे 

फिर रुपया उसने बहुत कमाया

सहज सुख की कीमत दे करके


अब परिवार को प्यारा है

वह नहीं, रुपया उसका



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