Wednesday, December 9, 2015

पुरुष ताँक झाँक ...(लघुकथा )

पुरुष ताँक झाँक ...(लघुकथा )
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एक धार्मिक आयोजन में , आयोजकों ने , बाहर के आमंत्रित धर्मालुओं के लिए एक धर्मशाला में व्यवस्था की थी ,निहारिका ,इस हेतु जयपुर सुबह साढ़े सात बजे पहुँची थी। उसे बताया गया की धर्मशाला के रूम सारे भर गए हैं , एक रूम जिसमें एक 55 वर्षीय सज्जन रुके हैं , आप चाहें तो उस रूम का उपयोग , सामान रखने , नहाने और तैयार होने में कर सकती हैं। निहारिका ने , दिन की ही बात है , और शेयर किये जा रहे रूम में , सज्जन की वय 55 की है सोचकर हामी भर दी।
रूम में पहुँची तो , सज्जन उसे अपने पापा जैसे लगे , सामान्य बात में उन्होंने आत्मीयता दर्शाई। निहारिका आश्वस्त हो गई। थोड़ी देर बाद वह जब वॉशरूम में थी उसे , लगा दरवाजे के बाहर तरफ कुछ हलचल है , लगा दरार से कोई झाँकने की कोशिश में है। बाहर से सामान्य दिखाते हुए , कुछ अपने कपड़े व्यवस्थित कर निहारिका ने अचानक दरवाजा खोल दिया। बाहर अंकल झेंपते खड़े दिखाई दिए। निहारिका ने ऐसा व्यक्त किया , जैसे उसे कोई संदेह नहीं। प्रकट में कहा - अंकल मैं कँघी भूल गई थी , अपने सामान के पास जा , झूठे ही कंघा लेने का उपक्रम किया फिर अंदर वॉशरूम में गई। इस बार जो दरार थी , टॉवल इस तरह डाला की बाहर से कुछ न देखा जा सके , फिर आराम से तैयार हुई।
रूम में आ अपने पास रखे चाय के सामान से चाय तैयार की और बिस्कुट एक प्लेट में रखने के बाद अंकल को साथ लेने का आग्रह किया। अंकल साथ आ बैठे , तब निहारिका ने सहज कहना शुरू किया। अंकल - आदिमानव के पास कपड़े नहीं थे , वह जानवर की तरह रहता था। मनुष्य ने विकास किया और तन पर कुछ धारण करना आरंभ किया ... कहते हुए रुकी और दृष्टि डाली तो अंकल के चेहरे पर असमंजस के भाव दिखे , फिर कहना आगे जारी रखा - पुरुषों ने नारी पर ज्यादा कपडों की परत तय कर दी। जब नारी में कुछ नहीं दिखता तो कभी उसे नहाते समय , कभी शौच जाते समय और कभी कमरों में अपने पति के संग अंतरंग संबधों में होते हुए , पुरुष ताँक झाँक करने लगा। दो तरह के यह पुरुष व्यवहार बड़े विचित्र है , नारी जब कपड़े में है तो उसे नग्न देखने के प्रयास होते हैं और जब वह नग्न थी तो उसे कपड़ों की परतों में लादा गया। अब अंकल के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थी , ग्लानिवश सिर्फ इतना कह सके क्षमा करना ,बेटी और फिर रूम खाली कर चले गए।
--राजेश जैन
10-12-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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