Tuesday, December 29, 2015

क्या ये जीवन है ?

क्या ये जीवन है ?
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खुशियाँ दिलाते अब रूपिये
ये क्या ज़माना आया है
अभाव में टूटते नाते-रिश्ते
कैसा विकास हमने पाया है
 
वृध्द माँ-पिता हैं उपेक्षित
रूपये लगते उनके उपचार में
उपचार अभाव में चल देते जब
कोसते स्वयं को हम मलाल में
 
सुधारो यह उपचार पध्दति
लाओ सेवा भाव अस्पताल में
बच्चे फर्ज न निभा सके
क्या ये जीवन है ? ऐसे विकास में
--राजेश जैन
30-12-2015



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