Tuesday, December 8, 2015

हमारी ख़ुशी क्या है , क्या हम जानते हैं ?

हमारी ख़ुशी क्या है , क्या हम जानते हैं ?
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पिछली रेल यात्रा में  ए सी 2 में टीसी साहब मेरे सामने की बर्थ पर थे। वे खुशमिजाज थे और देखने में उनका ,यात्रियों से भला व्यवहार देखने मिल रहा था। फिर ए सी 3 वेटिंग लिस्ट के एक सज्जन को उन्होंने एक बर्थ अलॉट की। डिफरेंस चार्जेज की स्लिप बन गई तब सज्जन ने उनसे पूछा , सर कितना दे दूँ ?
सुंदर दंत पँक्तियों की झलक दिखलाकर टीसी साहब ने कहा - मुझे ,क्या पता ,आपका ख़ुशी क्या है ? सज्जन ने पेमेंट किया , मुझे नहीं पता कितना। लेकिन अगर चार्जेज से अलग उन्होंने कुछ दिया , तो क्या वह ख़ुशी से दिया होगा ?
हमारे , मकान मालिक ने सर्वेंट क्वार्टर में एक माली रखा , उसने , 25 दिनों पहले थोड़ी बड़ी उम्र में एक तलाकशुदा से विवाह किया। उसकी विवाहिता 20 दिन उसके साथ रही , फिर पता चला वह चली गई। कहाँ गई ? सुनने में आया , उसका कोई चक्कर था , उसके साथ चली गई।  20 दिन पहले वह किसी से विवाह रचाती है , फिर 20 दिनों बाद छोड़ , पूर्व प्रेमी के साथ चली जाती है। निश्चित ही उसे ठीक से मालूम नहीं उसकी ख़ुशी किस बात में है ?
इस भूमिका के साथ यह लिखना उचित होगा कि हम सभी को अपनी ख़ुशी की भलीभाँति जानकारी ही नहीं है। कभी , जिस बात में ख़ुशी मानते हैं , उसी में दुःख भी कर लेते हैं। वास्तव में ख़ुशी की संभावना जिन कारणों में बनती है , उन बहुत सी बातों के होते हुए भी हम खुश नहीं रहते हैं, क्योंकि उन बातों में से ख़ुशी ले लेने की कला हमें नहीं आती है।
जीवन में अनेकों साधारण बातों में हमें ख़ुशी मिल सकती है , अगर ख़ुशी ग्रहण करने का कौशल हम बना लें !
--राजेश जैन
09-12-2015
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