Friday, December 4, 2015

निर्भया-निर्दया ..... निरंतर

निर्भया-निर्दया ..... निरंतर
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16 दिस. 2012 को निर्भया पाशविक हादसे की शिकार हुई ...... देश ,इस पीढ़ी पर लगे कलंक की एक क्षोभनीय समाज तस्वीर , और
लेखक ने पिछली कुछ पोस्ट में सृजन चौक , जबलपुर की एक तस्वीर , जिसमें एक लाचार नारी दिखलाई है ('निर्दया' नाम दिया) ...... दूसरी क्षोभनीय समाज तस्वीर है ।
यह निर्दया 2 दिस. के बाद सृजन चौक पर दिखलाई नहीं पड़ रह है। इसका अर्थ यह नहीं है कि ऐसे पाशविक कृत्य हमारे समाज में खत्म हो गए हैं। निर्भया के बाद भी ,समय स्थान और थोड़े प्रकार अंतर से ,निर्भया के ऊपर किये पाशविक कृत्यों की निरंतरता जारी है। और 'निर्दया' भी प्रकारांतर से हर शहर में , कई स्थलों पर भटकती , ठिठुरती विद्यमान है।
भारतीय समाज , जिसमें दया , परोपकार और संवेदनशीलता रही है। यह कहीं लुप्त होती लग रही है। हम भारतीय अपनी इस भव्य धरोहर को बनाये रखने के लिए उत्तरदायी हैं। हमें इस धरोहर को लुप्त नहीं होने देना है , बल्कि वैचारिक प्रेरणा , सदाचार और परोपकारों से निर्भया -निर्दया तरह के दुष्टता के पाशविक कृत्यों को वर्तमान से और भविष्य के लिए लुप्त कर देना है। हम अपने अपने स्तर से अपनी अपनी क्षमता से जितना भी इस दिशा में कर्म करते हैं , वह समय , इतिहास ,देश और मानवता को हमारा ,अनमोल योगदान होगा।
हम स्वयं नारी सम्मान करें , नारी सुरक्षा करें , नारी को जीवन और प्रगति के अवसर उपलब्ध करायें और दूसरों में अपने भले विचार प्रसारित करें , अपने भले कर्मों से इसके लिए प्रेरित करें।
"हमारा जीवन गौरव का विषय होना चाहिये
इस सोच की जागृति रख हमें जीना चाहिये"
--राजेश जैन
05-12-2015

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