Sunday, December 6, 2015

अधेड़ द्वारा छेड़छाड़

अधेड़ द्वारा छेड़छाड़  (लघुकथा)
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भीड़भरी बस में गरिमा के साथ अभिषेक , खड़े खड़े यात्रा कर रहा था। एक अधेड़ संभ्रांत से दिखते व्यक्ति जो गरिमा और उसके साइड में खड़े थे।  अधेड़ के हाथ और शरीर की हरकत , बस के ब्रेक एवं हिचकोले के बहाने कुछ आपत्ति जनक थी। इसका प्रतिरोध गरिमा उनसे दूर होने के प्रयास और अपने हाथों के द्वारा बचाव से करते , अभिषेक को दिखाई दे रही थी। 15 मिनट के बाद ग्रीन पार्क स्टॉप आ जाने पर अभिषेक और गरिमा उतरे। उसी स्टॉप पर वे अधेड़ भी पीछे उतरे तो गरिमा को जब आश्चर्य हुआ जब उसने अभिषेक को कहते सुना , अंकल आइये एक कप चाय साथ लेते हैं। उनकी सहमति के बाद ,चाय पीते हुए अभिषेक ,उन्हें बता रहा था ...  मैं 15 वर्ष का था , तब मेरे पापा ने किसी युवती से छेड़छाड़ की थी , युवती के चिल्ला पड़ने से , आसपास की भीड़ ने , मेरे पापा की पिटाई कर दी थी। उस पिटाई , अपमान और पछतावे का सदमा पापा को ऐसा बैठा कि उसके बाद ढाई महीने में ,सिर्फ 45 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई।  मेरे माँ वैधव्य और मैंने पितृछाया विहीन अभिशप्त जीवन ,पिछले 17 वर्ष में अनेक कठिनाइयों में जिया है। यह एक बेहद कटु अनुभूति है , इसलिए अंकल मेरी आप से रिक्वेस्ट है , जैसी हरकत आप मेरी पत्नी गरिमा के साथ कर रहे थे , वैसी आगे किसी के साथ न करें , आपका परिवार होगा , आपकी ऐसी गलती से जो प्रतिष्ठा हानि और जीवन विपरीतताओं को अभिशप्त हो सकता है। अधेड़ व्यक्ति का सर ग्लानि से झुका हुआ था। यहाँ ,गरिमा को भी अभिषेक के विचित्र व्यवहार का कारण समझ में आ चुका था , कि क्यों बस में अभिषेक , इस व्यक्ति की हरकत पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। आज ,अभिषेक के लिए गरिमा के मन में श्रध्दा और बढ़ गई थी ..
-- राजेश जैन
07-12-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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