Tuesday, December 15, 2015

हार्दिक कामना -नारी सम्मान

हार्दिक कामना -नारी सम्मान
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आगरा से ए सी क्लास में  पति-पत्नी (थरटीज़ में) लड़ते हुए सवार हुए थे , किसी बात पर पंकज द्वारा  संतोष के गाल पर थप्पड़ मारने को हाथ उठाते देख लेखक (मैं) ने उसे , भैय्या .. नहीं !  .. कह कर रोका था। तमतमाये पंकज ने इसका लिहाज किया था और हाथ रोक लिया था। तब मैंने संतोष को बैठ जाने के लिए कहा था। संतोष , के आँखे अपमान के आंसुओं से भरी हुई थी। मैं और रचना ने बाद के सफर में उन्हें समझाया था। दोनों सुंदर भी थे , देखने से पढ़े लिखे और अच्छे घर के होने का इम्प्रैशन भी देते थे। उनके विवाह को 15 वर्ष हो चुके हैं , बाद के सफर में उनमें प्यार भी अनुभव किया था। दोनों ने एक ही टिफिन में परस्पर आग्रह से खाना भी खाया था। देख कर हम दोनों को अच्छा लगा था। हम तो कटनी आने पर उतर गए थे , उनका आगे का सफर बाकि था। लेकिन लेखक के मन में फिर कई प्रश्न उमड़ आये थे।
निर्भया पर हिंसा अपराध के आज तीन वर्ष होने पर उल्लेख करना आवश्यक है कि घर से बाहर की नारी से दुर्व्यवहार और अपमान ही हमारे देश में समस्या नहीं ,अपितु हमारी अपनी नारी से सम्मान से व्यवहार ,हमारे समाज में उतना नहीं जितना होना नारी-पुरुष के तनाव रहित सुखी जीवन के लिए होना चाहिए। यात्रा में हम भले ही अपरिचित थे कुछ समय में साथ छूट भी जाना था लेकिन पंकज को इसकी परवाह तो करनी चाहिए थी कि संतोष पर हाथ उठा कर किये जाने वाले अपमान से अकेली संतोष ही नहीं , उन दोनों के परिवार का सम्मान कम हो रहा था।वास्तव में पुरुष का दायित्व है अपने परिवार का समाज में यथोचित सम्मान बनाये रखे यह सम्मान तभी बनाया रखा जा सकता है जब वह नारी का सम्मान करे।
और जब प्रश्न हमारे देश और समाज के सम्मान का आता है तब यह आवश्यक होता है हम घर और बाहर की नारी को भी यथोचित सम्मान और सुरक्षा दें। जिस दिन हम यह सीख लेंगे कोई दुर्भाग्यशाली निर्भया नहीं होगी , और सब वह सुखद जीवन जी सकेंगी , जैसा जीना हर मन ,हृदय की कामना होती है।
आइये हम निर्भया की स्मृति में शपथ लें कि "अपनी माँ -बेटी ,बहन ,पत्नी ,सभी संबंधी नारी सहित अन्य घर परिवार की नारी से ,हम सम्मान से पेश आयेंगे , उनके सुरक्षित जीवन की सुनिश्चितता को अपना कर्तव्य मानेंगे।
--राजेश जैन   
16-12-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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