हमारी लाचारियाँ
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हम ,अच्छा देश के लिए
अच्छा समाज के लिए
अच्छा अन्य के लिए
करने की भावना रखते हैं
भावना होती फिर भी ,ऐसा
लाचारियों से ना कर पाते हैं
परिवार दायित्व ,अपने हित
के लिए जीवन जीते जाते हैं
जीवन में समय आता जब
लाचारियों से मुक्ति पाते हैं
ऐसी सद्भावनाओं अनुरूप फिर
क्यों ना परोपकार कर पाते हैं ?
परीक्षा है मानव जीवन जिसमें ,हम
स्वहित ,परोपकार कितना कर जाते हैं
--राजेश जैन
11-12-2015
https://www.facebook.com/PreranaManavataHit/
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हम ,अच्छा देश के लिए
अच्छा समाज के लिए
अच्छा अन्य के लिए
करने की भावना रखते हैं
भावना होती फिर भी ,ऐसा
लाचारियों से ना कर पाते हैं
परिवार दायित्व ,अपने हित
के लिए जीवन जीते जाते हैं
जीवन में समय आता जब
लाचारियों से मुक्ति पाते हैं
ऐसी सद्भावनाओं अनुरूप फिर
क्यों ना परोपकार कर पाते हैं ?
परीक्षा है मानव जीवन जिसमें ,हम
स्वहित ,परोपकार कितना कर जाते हैं
--राजेश जैन
11-12-2015
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