Thursday, December 17, 2015

मन लुभावन

मन लुभावन
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जिन्हें जैसा दिखने में अच्छा लगता है
वैसे श्रृंगार में वह सजता और सँवरता है
वह करता इसे अपनी खुशियों के लिए
क्यों कोई उस ख़ुशी में खलल करता है ?

देख लो किसी का बना सवँरा रूप तुम
यदि वह मन लुभावन तुम्हें लगता है
स्वयं को रोक लो जबरदस्ती करने से
उनके अपनों के लिए ही कोई सजता है

क्यों परेशान पहने -ना पहने ,क्या कोई
इसका विवेक किसी का अपना अपना है
क्षति न पहुँचाता जब तक कोई किसी को
मन की करने की वह स्वतंत्रता रखता है 

लालसाओं वासना पर नियंत्रण रखो अपनी
अन्यथा तुम खुद बुरे ,दूसरा न बुरा लगता है
--राजेश जैन
18-12-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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