Sunday, March 8, 2015

अंतर-राष्ट्रीय महिला दिवस

अंतर-राष्ट्रीय महिला दिवस
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सिर्फ नारेबाजी न रहे
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नारी 365 दिन है , उनके सम्मान , सुरक्षा और उन्नति के प्रश्न , हर घड़ी -हर दिन हैं , तो एक दिन ऐसा मानना 'थोथी नारेबाजी न रह जाये' ।नारी सम्मान एक दिन की रस्म में सीमित न रह जाये। भला ,अंतर-राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है , कहीं ?   जबकि जीवन के हर पल में इनका महत्व है। फादर्स डे , मदर्स डे या फ्रेंडशिप डे इत्यादि एक भेड़चाल ने ,सारी महत्वपूर्ण बातों और रिश्तों का महत्व कितना कम कर दिया है?
नारी दशक
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नारी की दशा सोचनीय है , उसकी दशा सुधारने के लिए , गंभीरता से उपाय और व्यवस्था चाहिए। इस हेतु 'नारी -दशक' मनाया जाना चाहिए। नारी समक्ष चुनौतियों के उत्तर खोजे जायें , तब इस रस्म या नारे की सार्थकता है। कुछ चुनौतियाँ इस आलेख में -
आत्मरक्षा
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नारी को आत्मरक्षा की तकनीक स्कूल स्तर से पाठ्यक्रम में सम्मिलित की जानी चाहिए। हर बालिका को शिक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। वह इतनी योग्यता अर्जित करे कि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सके।
कुरीति - दहेज
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नारी -आर्थिक आत्मनिर्भर नहीं भी रही, तब भी -पुरुषों के किये से ज्यादा - अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाओं में परिवार के लिये करती ही रही है। 'कुरीति -दहेज' तो वैसे भी नहीं होनी चाहिये थी , आर्थिक आत्मनिर्भरता के बाद तो दहेज का कोई भी तर्क नहीं बचता है। 
नारी को सम्मान
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नारी को सम्मान मिलना चाहिए। उस पर शोषण बंद होने चाहिये। नारी को पुरुष समतुल्य मापदंडों से समाज में स्थान मिलना चाहिए। अगर चरित्र हीनता , पुरुषों की क्षम्य है तो सामाजिक सोच ऐसी ही क्षम्य -नारी के लिए होनी चाहिये। और अगर नारी के लिए चरित्र आवश्यकता हो तो  पुरुषों को भी वही सीमायें निभानी चाहिए।
दोषारोपण -दोहरा अत्याचार
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हमारे समाज में दोहरा अत्याचार  , नारी सह रही है। उसे उन्नति के अवसर और पर्याप्त सुरक्षा नहीं हैं . पुरुष धूर्ततायें उस पर जारी हैं। उनके योगदान और त्याग को -यथोचित सम्मान नहीं है। जिस से उनका जीवन यों ही विषम है।  जहाँ पुरुष की बड़ी भूलें अनदेखी की जाती हैं वहीं छोटी भूलों पर नारी पर दोषारोपण और कलंक का टीका दोहरा अत्याचार है।
कामुक सामग्रियों पर रोकथाम
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आज 'अंतर-राष्ट्रीय महिला दिवस' मनाने वाले - क्या पोर्नोग्राफी प्रोफेशन पर रोक का प्रश्न उठायेंगे ? जिसके वीडियो और तस्वीरों ने मनुष्य मन पर सिर्फ सेक्स विचार ही प्रमुख कर रखे हैं । जिसके कारण नारी विरुध्द यौन अपराध बढ़ गये हैं। सोशल साइट्स पर फेक आईडी और इनबॉक्स में युवाओं को सिर्फ यही कामुक सामग्री चाहे -अनचाहे देखने मिल रही है। प्रसारण पर रोक से ज्यादा प्रभावी उसके निर्माण पर ही प्रतिबंध होना है। यद्यपि यह प्रोफेशन यूरोपीय और अमेरिकन देशों में ज्यादा है , किन्तु वहाँ कानून और व्यवस्था के प्रभावी होने से रेप और छेड़छाड़ कम हैं। तब भी वहाँ की नारी की यह तस्वीर कदापि नारी सम्मान की कहानी नहीं कहती है। भारत आकर इन कामुक सामग्री के प्रभाव विकराल रूप ले रहे हैं -नारी विरुध्द अपराध बढ़ रहे हैं । युवा पीढ़ी (और अनेकों नवयुवतियाँ ) कई बुराइयों में लिप्त होते जा रही हैं।
 अंतर-राष्ट्रीय महिला दिवस और नारी
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इस दिन के आयोजनों का औचित्य दो शपथ से सिध्द हो सकता है।  प्रथम नारियों द्वारा - ' मैं स्वयं को पुरुष बहकावेगे से बचाऊँगी, और अन्य को इससे बचने को प्रोत्साहित करुँगी ' और दूसरी  पुरुषों द्वारा- 'मैं किसी नारी पर शोषण न करूँगा , और अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्य को इसमें पड़ने से रोकूँगा' .
--राजेश जैन
08-03-2015

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