Thursday, March 26, 2015

धन्यवाद , मेरे विवेक

धन्यवाद , मेरे विवेक
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लगता था कभी पापा नहीं रहेंगे
लगता था बच्चे जॉब को जाएंगे
झटके थे विचार बीतने के पहले
न मालूम था निर्वात रह जायेंगे

मन में उठती लहरों में
युवावस्था की तरंगों में
न्याय कर्म में बना रहा
न डोला समय थपेड़ों में

कुछ परिजन चले जाने थे
कुछ की खुशियाँ चाहते थे
असहाय करते प्रसंग कुछ
इनमें स्वयं अकेले पाते थे

विवेक धन्यवाद में करता हूँ
सद् प्रेरित छल ना करता हूँ
यों ही जीवन के किस्से हैं ये
अच्छा सब अच्छा करता हूँ

निशर्त प्रेम निष्ठा पत्नी की
इसमें चलती गाड़ी जीवन की
रोबोट नहीं बन गया जिसमें
जगाने भावना आई करने की

साधो चाल अपने चलन की
लाओ भावना निश्छल की
छल से यदि जुटा लिया तो
ग्रंथि कचोटेगी यों छलने की

मन के बहुत भीतर की निजी हालात शेयर किये हैं। लगता तो था पापा किसी दिन दुनिया में न होंगे। लगता था बच्चे जिनमें प्राण रखे होते हैं। अपनी आजीविका को दूर जायेंगे , व्यस्त होंगे। उनकी ख़ुशी में ही , हमारे दायित्व रहे थे। एक तरह से पसंद भी यही था। तब बीती नहीं थी , इतनी कठिन सी नहीं लगती थी , इसलिए विचार झटक दिया करता था। कुछ अंतराल में , पापा दुनिया में न रहे ,गहन दुःख की बात है।  बच्चे जिस लिए पढ़ाये जा रहे थे ,आत्मनिर्भर हुए ,  संतोष और प्रसन्नता की बात है। ऐसे में परिस्थिति बनी , ड्यूटी है , साथ पत्नी है , प्रकट में चलता सब सामान्य सा , किन्तु मन के बहुत बड़े हिस्से में में निर्वात है।  अच्छा है स्वविवेक का सहारा लेता था , ऐसी प्रतिस्पर्धाओं में नहीं पड़ा , जिसमें छल -कपट के साथ और अन्य को क्षति पहुँचा कर छद्म सुख बटोरे जाते हैं। मन के भीतर के निर्वात इनसे क्या भरते जो कृत्रिम हैं , जिनका साथ बोध यथार्थ नहीं कृत्रिम है।
लोग आज तलाक ले लेकर पुराने संबंध तोड़ रहे हैं , नए साथ में सुख तलाशते घूमते है। सच कहूँ पत्नी का साथ पुराना पड़ता है , निशर्त चलता पति -पत्नी का संग होता है। यह पत्नी की निशर्त निष्ठा , प्रेम ,समर्पण और मानसिक सहारा है जो मुझे रोबोट नहीं होने देता है।
पति -पत्नी के अटूट साथ की वकालत करने की प्रेरणा मुझे पत्नी से मिलती है। नारी चेतना और सम्मान को लिखना , रोबोट का कार्य नहीं होता है। इसलिए निर्वात अकेले मन में ,अकेले होने के शाशत्व सत्य में भी , मै रोबोट नहीं बनता हूँ।
नारी पुरुष का और पुरुष नारी का सम्मान करें , एक दूसरे को सुरक्षा दें , संसार रचना में सुधार कर सर्व दिशा विश्वास का वातावरण निर्मित करें।
--राजेश जैन
27-03-2015

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