Friday, March 13, 2015

अकेली वह लड़की


अकेली वह लड़की
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अकेली
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रात या दिन में
भीड़ या वीरान में 
घर या बाज़ार में
अकेली वह लड़की

हम व्यस्त -हमारी
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बहन या बेटी
माँ या पत्नी
हमारी, हम व्यस्त
इसलिए अकेली भी होगी
मनुष्य
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हमारा मन है
मनुष्य मस्तिष्क है
चाहे वह नारी
वह भी मनुष्य ही है
सम्मान
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मन में है उसको 
स्व-सम्मान की आरज़ू ,
करने दो  इसलिए
सम्मान के उपाय उसको 
पढ़ना
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चाहती वो पढ़ना
चाहती है बढ़ना
बढ़ने दो उसको
मानो अपनी ही बहना
बहना
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बहन के लिए अपनी
सुरक्षा चाहते हो
अकेली किसी लड़की को
सुरक्षा तो तुम दो
संस्कृति
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नारी सुरक्षा की संस्कृति
तुम बनओगे
सुरक्षा के वातावरण में
सुरक्षित अपनी बहन पाओगे
अकेली वह लड़की
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अकेली उस लड़की में
नीयत ख़राब न करना
सम्मान ही तलाशती
सम्मान तुम उसे देना
--राजेश जैन
 14-03-2015

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