Sunday, March 29, 2015

फेसबुक फ्री है ?


फेसबुक फ्री है ?
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फेसबुक आया शादी ब्याह के एलबम इस पर अपलोड होने लगे।
घूमने फिरने के नए नए दृश्य डालने के यत्न में टूरिस्म बढ़ गया ।
मोबाइल के माध्यम से करोड़ों कैमरे हो गए और अरबों फोटो /वीडिओ खिंच गए।
इन सबके लिए नए -नए कपड़े खरीदे जाने लगे , कपड़ों की उम्र घट गई , कुछ ही बार पहन लेने पर पुराने कहे जाने लगे.जूते , गैजेट्स और ढेरों अन्य एक्सेसरीज आवश्यक हो गई। श्रृंगार प्रसाधन बढ़ गए। हेयर स्टाइल नई नई और महंगी हो गई। कहने को फेसबुक फ्री है , वास्तव में बहुत महँगा है । सब  कनेक्टेड है एक ही सिद्धांत से "कैसे व्यवसाय बढ़ाया जाये एवं ज्यादा धन कमाया जा सके " .
व्यवसाय ही बढ़ता , कुछ धन -वैभव बढ़ता उतना महँगा न पड़ता । इन्हीं साधनों का प्रयोग "रोगी मानसिकता" के लोगों ने किया। छिपकर उतार लिए गए वीडियो और फुसलाई गयी नारी के अंतरंग संबंधों के दृश्य फेसबुक /व्हाट्सएप्प  मोबाइल mms पर प्रसारित होने लगे। ढेरों फेक अकाउंट बन गए उन पर भद्दे स्टोरी , कमेंट के अम्बार लग गए।
बूढ़े जवान बन गए, कुछ पुरुष /लड़के नारी बन गए।  अपराधी प्रवृत्ति के ये लोग , अन्य का ध्यान भटकाने में जुट गए।  जहाँ -तहाँ - वल्गैरिटी की लिंक - पढ़ने वाले बच्चों को भी कहीं से कहीं भटका रही हैं। उनका समय और दिमाग कम उम्र में ही उन बातों में लगने लगा , जो प्रगति को धीमा करती या रोकती हैं।
इन सबमें ज्यादा नुकसान नारी को होता ,प्रतीत होता है।  पहले ही अपने  'सुरक्षा एवं सम्मान अभाव' और शोषण से व्यथित थी। अब नारी , अपनी सहमति (कन्फ़्युजन) से ही इन्हीं बातों में ज्यादा गहरे संकटों पड़ रही है। इसमें काम-लोभियों को अपना फायदा दिखता है. वे बढ़ावा दे रहे हैं । लेकिन प्रत्यक्ष में नारी को दिखता नुकसान , वस्तुतः नारी का अकेला नहीं है। अप्रत्यक्ष इसमें स्वयं पुरुष ही लूज़र है।  जन्म तो वह नारी कोख से लेता है , और संग तो पत्नी रूप में नारी के ही होता है , वह ख़राब हुई तो ख़राब किसको मिलेगी ? स्पष्ट है नुकसान दोनों को हो रहा है ।
"नारी को ख़राब पुरुष और पुरुष को ख़राब नारी" , आगे का ऐसा समाज चित्र उभर रहा है। रोकना चाहेंगे इस दिशा में बढ़ गए अपने क़दमों को ?
--राजेश जैन
29-03-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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