Friday, March 27, 2015

नारी - पुरुष सहायक

नारी - पुरुष सहायक
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रिज रोड में भ्रमण हेतु राजकुमार जी (नेत्रहीन) के साथ उनकी लाठी थामे आज ,एक मिडिलएज्ड वीमेन थी। जाते हुए की क्रासिंग में मैंने संकोच में कुछ नहीं पूछा , लौटते में जब उनके पास पहुँचा तो राजकुमार जी से नमस्कार कहने के बाद पूछा , मैं साथ ले चलूँ आपको ? उनकी हामी के बाद उनकी लाठी थाम उन्हें टैगोर गार्डन तक छोड़ा। उन्होंने इस दरम्यान बताया ये दीदी , रेलवे में हैं और कभी कभी अकेले घूमते देखने पर इस तरह साथ देती हैं। वे जैसा मुझे लगा था , उनकी पारिवारिक सदस्या नहीं हैं। इसलिए आदर उनके प्रति बढ़ गया। एक अपरिचित नेत्रहीन पुरुष की इस तरह मदद का साहस और दया है , उनके नारी सुलभ उदारमन में।

विचार करने और स्वयं पर लाज आने करने वाली बात है
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बहुत शक्ति नहीं होती नारी में , किन्तु कठिनाई में पुरुष को देख अपनी शक्ति से अधिक सहायता की दया रखती हैं। मानसिक शक्ति में , पुरुष से बीसी होती हैं। दया -स्नेह उनका व्यक्ति-परिचय होता है।
नारी , अपने सद्-गुणों के साथ सम्मान की पात्र होती हैं . जहाँ अकेली या कमजोर होती हैं , वहाँ उनकी सहायता की जानी चाहिये। लेकिन पुरुष के लिए लाज की बात है , अकेली और कमजोर की सहायता न कर उनका सम्मान न कर , दुष्टता का प्रदर्शन कर उनके तन पर बेशर्मी और ललायत दृष्टि डालता है . छींटाकशी करता है , अपमान करता है और अवसर मिल जाये तो जबरदस्ती करता है। शक्तिशाली प्रचारित यह पुरुष वास्तव में अपनी हीनता का परिचय देता है , जो इतना कमजोर होता है कि उसका स्वयं के मन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। इतना हीनबुध्दि होता है कि इसकी कल्पना नहीं कर पाता कि इन हरकतों से नारी के मन और जीवन पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेंगे। ऐसी दृष्टिहीनता का परिचय देता है , जिसमें यह नहीं देख पाता कि वह नारी जिस पर अत्याचार कर रहा है , वह किसी परिवार की सदस्य है . किसी की बहन -बेटी है . उस परिवार की इज्जत का भार हमारे ही संस्कृति ने उनके कंधे पर डाल रखा है। उनका अपमान नारी अकेले का अपमान नहीं पूरे परिवार का अपमान है। अल्पयाददाश्त का परिचय देकर भूलता है वह भी एक परिवार में रहता है।
इनसे भले राजकुमार जी
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जो नेत्रहीन हैं लेकिन सहायक का सम्मान जानते हैं , स्नेह की भाषा बिना देखे जानते हैं . मददगार नारी के लिए पूरे सम्मान से दीदी शब्द से सम्बोधन करते हैं। यह पुरुष होना है , नेत्रज्योति नहीं होने पर भी नारी के सम्मान की आवश्यकता की समझ रखते हैं। नेत्र वालों के लिए निशब्द एक सन्देश देते हैं , दृष्टि होना भली बात है , लेकिन दृष्टि में अश्लीलता नहीं स्नेह और सम्मान का होना ज्यादा भली बात है।
-- राजेश जैन  
28-03-2015

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