Monday, March 16, 2015

गर्ल्स के लिये स्टंट

गर्ल्स के लिये स्टंट
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स्टंट (करतब) - जो खतरनाक और कठिन सा दिखता है , वह कार्य अंजाम देना स्टंट है। इसमें जान की जोखिम भी हो सकती है। इसमें साहस की जरूरत होती है।
इस जेनेरेशन की गर्ल्स के लिए स्टंट
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स्टंट नहीं है , एक्चुअली कठिन सा दिखता है इसलिए यह वर्ड प्रयोग किया है। यह है - नारी के लिए सुरक्षा और सम्मान अर्जित करना। कठिन चुनौती लगती है। अब तक नारी इस समस्या से जूझ कर हारती रही है। सच्ची चेतना उसे स्वयं में और फिर सभी नारी में लानी है ताकि आने वाली नारी जेनेरेशन के लिए वह स्वस्थ वातावरण का मिलना सुनिश्चित कर सके।
समस्या
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नारी की यह समस्या , एक्चुअली समाज और देश की समस्या है। लेकिन समस्याओं के होने से कुछ लोग ज्यादा सुखी रहते हैं।  वे लोग , समस्याओं के होने से प्रभावशाली बनते हैं। इसलिए अपने प्रभाव का उपयोग समस्या बनाये रखने में करते हैं। ऐसे परिदृश्य में नारी सुरक्षा और सम्मान , नारी की ही समस्या बनी रह गई है।स्वयं ,जान तो नहीं किन्तु  नारी को जीवन लगाना है। और नारी को सम्मानित एवं सुरक्षित कर जाने का करतब (स्टंट ) दिखाना है।
कैसे होगा स्टंट ?
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स्टंट के लिए गर्ल्स को कहीं इकठ्ठा होने की अनिवार्यता नहीं है।  कोई और कई साथ हो जायें तब ही कोई कार्य हो ऐसी भी अनिवार्यता नहीं है। दरअसल किसी की मदद या स्वयं की मदद तभी संभव होती है जब स्वयं हम , शक्तिशाली ,सुरक्षित और समर्थ होते हैं।
कैसे बनें गर्ल्स समर्थ ?
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पढ़ने वह लगी है
बढ़ने वह लगी है
फुसलावों से बचे,
जिससे 
जान पर आ पड़ी है।
क्या हैं फुसलावे ?
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प्रेम दिखा के छल रहे हैं , बॉयफ्रेंड
ड्रिंक्स पिला नचा रहे हैं , बॉयफ्रेंड
ग्लैमरस ,तमाशा बना रहे हैं ,बॉयफ्रेंड 
छली गई को आधुनिका कह रहे हैं ,बॉयफ्रेंड 
सभी नहीं अधिकाँश बॉयफ्रेंड दिलजोई ही कर रहे हैं। झूठी कसमों और वायदों से छलते और मतलब निकाल कर किनारा कर लेते हैं। और छली गई ऐसी गर्लफ्रेंडस ही बाद के जीवन में ज्यादा प्रताड़ित शोषित और अपमानित होती है।
फुसलावों में न आने से क्या होगा
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गर्ल्स का समय बचेगा , ज्यादा पढ़ सकेगी। अपना भविष्य ज्यादा अच्छा कर सकेगी। आत्मविश्वास बढ़ा सकेगी और आत्मसम्मान कायम रख सकेगी। सक्षम -समर्थ बन कर स्वयं की और दूसरों की मदद करने में सफल हो सकेगी। यह सब अपनी जगह रहकर ही करना सम्भव है। जड़ें मजबूत कर ताकतवर होकर उभर सकती हैं (जैसे वृक्ष ) . और वह स्टंट कर सकती हैं जिसमें कठिन प्रतीत होता , नारी सम्मान अर्जित होता है। नारी सुरक्षा का प्रश्न हल हो जाता है।
इतिहास से सीखें
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स्वतंत्रता के प्रति चेतना आई थी , कुछ पीढ़ी ने साहस किया था श्रेय की किसी को न पड़ी थी। सब ने अपनी अपनी जगह से मजबूती बनाई थी. स्वर और कर्म बुलंद हुए थे और गुलाम बनाने वालों के पैर इस ज़मीन से उखाड़ दिए थे। एक दो नारी जेनेरेशन को अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं का बलिदान देने का मन बनाना होगा।  यह साहस जुटाना होगा। परिणाम में बाद की नारी सम्मानित होगी और सुरक्षित हो सकेगी।
नारी-पुरुष समानाधिकारों के आंदोलन
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आज जो आंदोलन होते हैं उसकी दिशा भटकी हुई है।  आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य नारी बाजार में दुकानों पर लगी वस्तु सी सजा दी गई है। भारतीय नारी को उसकी नकल करने की जरूरत नहीं है। वह सही दिशा की ओर अपने मूल प्रश्न और सोच पर अडिग रहकर बढ़े। स्टंट सफलता से होगा।
--राजेश जैन
16-03-2015

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