Saturday, March 21, 2015

गरिमा की डायरी - पेज 13


गरिमा की डायरी - पेज 13
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घर से बाहर पहली बार अकेली रही थी , इसलिए 2 दिन के लिए घर लौटी थी। माँ से सब बताना मन हल्का करता और साहस देता है । हॉस्टल की छोटी छोटी बातें उन्हें बताते रही थी। हॉस्टल को , वापसी में कार में पापा ने जो बातें की उनसे वे इतने सुलझे विचारों के हैं , मुझे पहली बार मालूम हुआ ।
उन्होंने मेरे लिए हमेशा गर्ल्स स्कूल , प्रेफर किया था। फ्रेंड्स की बर्थडे पार्टी में रात में या होटल में न जाने देना मेरे पर पाबंदी रही थी। उन्होंने , स्कूल में मोबाइल न दिया था। सख्ती से उनकी , थोड़ा डर सा रहता था , आज मधुरता से एक लय में मुझसे कहते जा रहे थे ....
साथ के बॉयज -गर्ल्स , एक साथ पार्क /मॉल टॉकीज आदि में घूम रहे हैं। सामान्य सा दिखता है सब , तुम इससे ज्यादा एन्जॉय कर सकती हो , अच्छा बन जाने का वेट कर लो 4-6 साल। आगे - जीवन पूरा है इन चीजों के लिए।  अभी उलझोगी इनमें तो 4-6 साल के मजे होंगे और आगे के जीवन में पछतावे होंगे. बॉयज से बात करनी होगी , प्रेक्टिकल -प्रोजेक्ट में साथ होंगे , स्टडीज में भी कुछ डिस्कशन होते हैं। लेकिन , उनसे बातों की सीमायें रखनी होगी। अपनी डिगिनिटी (गरिमा) की चिंता रखनी होगी। तुमने माँ से बताया है , कुर्ते -सलवार/चूढ़ीदार में लड़की को बहन जी कहते हैं . स्वयं सोचो , भला बहन जी शब्द क्या कॉलगर्ल्स सा बुरा है? फ़िक्र करने की जरूरत नहीं।
पहनने को पाश्चात्य भी पहनो , परिधान ज्यादातर अच्छे ही हैं। सलीके से न पहने जायें तो साड़ी और कुर्ते भी भड़काऊ हो सकते हैं और सलीका हो तो जीन्स भी जँचता और शालीन लगता है। सुविधाजनक पहनना , सब पहनना ,जहाँ जो जँचता वह पहनना लेकिन शालीनता का ख्याल रखना।
कॉलेज में क्या करने आई हो इस बात को विस्मृत न करना। तुम दूसरों की नकल करो , जरूरी नहीं है। तुम्हें अच्छी रहना है इस का स्मरण रखना।  तुम ऐसी बनो , जिससे कोई लड़की तुम्हारी नकल करे तो वह भी अच्छी बन सके। अच्छा करो और आत्मविश्वास रखो , तुम्हारी अच्छाई न किसी को भटकाएगी न ही तुम्हारा नुकसान करेगी। तुम अब अकेली हो वहाँ , बहुत सी नई बातें देखोगी /सुनोगी। गर्ल्स से सलाह की अपेक्षा , माँ को बताते ,सुनते जाना। इंटेलीजेंट तुम बहुत हो लेकिन जीवन के अनुभव तुम्हें अभी नहीं हैं । देश और समाज को जरूरत है जो गाइड कर सकें जेनेरेशन को। तुम्हें ऐसा बनना चाहिये , तुम में प्रतिभा है , तुम्हें ऐसा करना चाहिये।
पापा ने और भी बहुत कहा -यह बातें इस पेज पर अब इस खातिर लिख रही हूँ , ताकि जहाँ मुझे कन्फ्यूजन होगा मै यह पढ़ा करुँगी अपनी मेडिकल की पढाई के दौरान .
एक बात और - जितनी बातें मैंने माँ से कही , पापा की बातों से लगा - माँ एक एक बता देती हैं उन्हें। मुझे अच्छा लगा मेरे कठोर से लगते पापा ,माँ के इतने राजदार हैं .
गरिमा 17-अगस्त 2005
--राजेश जैन
21-03-2015

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