Monday, March 23, 2015

भारतीय नारी -दुर्दशा

भारतीय नारी -दुर्दशा
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"समय बदला , पृष्ठभूमि बदली
जीवन बदला , रीतियाँ बदली
सुख बदले , नये हुए दुःखों ने पर 
दुर्भाग्य, नारी तस्वीर न बदली "

*.  भारतीय समाज में पहले सती प्रथा थी , नारी पति की चिता में जीवित जला दी जाती थी। अब दहेज दानव है , घर -परिवार छोड़ आई नवब्याहता ससुराल में जला दी जाती है। रुष्ट (दुष्ट) पुरुष एसिड से सलोना नारी मुखड़ा जला देते हैं.
*.  सम्मान बचाने के तर्क पर पहले , नारी घर में पर्दों में रखी जाती थी , अब सम्मान के नाम (छल) पर विज्ञापन , फिल्म ,नेट , मीडिया, स्पोर्ट्स (ग्राउंड) और दुकानों में बेपर्दा सजाकर रख दी जाती है .
*.  पहले विधवा होने पर वैधव्य जीवन का अभिशाप और बदनामी की विवशता थी। अब डिवोर्स होते हैं ,डिवोर्सी कह कर बदनाम की जाती है।
*.  चिकित्सा सुविधा अभाव में प्रसव में कुछ प्रसूता मर जाती थीं , अब उन्नत चिकित्सा विज्ञान के प्रयोग से प्रसव के पूर्व भ्रूण रूप में ही कन्या (बेटी) मारी जाती है।
*. पहले बाहरी हमलावर ,नारी का उठा ले (अपहरण) कर अपने शयनकक्ष में कैद करते थे , अब अपनों में से दुष्ट रेप और हत्या करते हैं।
और भी कटु यथार्थ हैं , जो एक सामाजिक लॉ कहता दिखता है। फिजिक्स का एक नियम है ....
"Energy cannot be created or destroyed, but it can be transformed. "
वैसे ही नारी दुःखों को देखते हुए 'दुर्भाग्य है' , एक लॉ कहा जा सकता है .......
"Grief cannot be created or destroyed, but it can be transformed. "
फिजिक्स का लॉ गलत साबित हो या नहीं , हमें नारी के लिए यह गलत साबित करके दिखाना चाहिये।
--राजेश जैन
24-03-2015

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