टुकड़े पचास तो -
नफ़रत से कोई भी कर देगा
है कुव्वत तुझमें? -
मोहब्बत से एक करके बता
ख़ुद के दिल की समझना ,
दिल की कर लेना आसान है मगर
कुव्वत तो जब ,
औरों के दिल की समझें - उनके दिल की कर दें हम
इत्मीनान है कि आलम मोहब्बत का होगा
सबमें इंसान ही तो है यह जागेगा भी कभी
रिश्तों में तल्ख़ी की वज़ह फक्त एक
भूलनी थी जो बातें दिल में रख बैठे हैं
लफ्ज़ तो हमने भी लिखे लाज़वाब थे
गर लब आपके पाते मिसाल हो जाते
नफ़रत से कोई भी कर देगा
है कुव्वत तुझमें? -
मोहब्बत से एक करके बता
ख़ुद के दिल की समझना ,
दिल की कर लेना आसान है मगर
कुव्वत तो जब ,
औरों के दिल की समझें - उनके दिल की कर दें हम
इत्मीनान है कि आलम मोहब्बत का होगा
सबमें इंसान ही तो है यह जागेगा भी कभी
रिश्तों में तल्ख़ी की वज़ह फक्त एक
भूलनी थी जो बातें दिल में रख बैठे हैं
लफ्ज़ तो हमने भी लिखे लाज़वाब थे
गर लब आपके पाते मिसाल हो जाते
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