Monday, November 19, 2018

#Terrorist

ख़ुद तो हसरत तेरी - अपनी ख़ुद की शर्तों पर जीने की
बेगैरत तू - औरों को उनकी शर्तों पर जीने क्यूँ नहीं देता

तीरगी की तारीख़ का सिलसिला - कब तारीख़ होगा बता दिल तक तेरे - आफ़ताब का उजाला कब पहुँचेगा तीरगी - अंधकार , तारीख़ - इतिहास

मेरा समय , मेरा लिखना व्यर्थ है - मालूम है मुझे पर खेद नहीं कि - पैग़ाम ए अमन लिखा करता हूँ

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