बेगैरत तू - औरों को उनकी शर्तों पर जीने क्यूँ नहीं देता
तीरगी की तारीख़ का सिलसिला - कब तारीख़ होगा
बता दिल तक तेरे - आफ़ताब का उजाला कब पहुँचेगा
तीरगी - अंधकार , तारीख़ - इतिहास मेरा समय , मेरा लिखना व्यर्थ है - मालूम है मुझे
पर खेद नहीं कि - पैग़ाम ए अमन लिखा करता हूँ
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