Sunday, November 18, 2018

#दर्द_ए_मोहब्बत_के_नक़्श
ज़िंदगी है वह - उसे जलाना ख़ुदकुशी होगी
झुलस जायें तब भी - उसका होना ज़िंदगी होगी

कैसी अजीब फ़ितरत इसकी - कैसा ख़ुदगर्ज ये इंसा
ख़ुशी चाहता है ख़ुद के लिए - औरों पे सितम करके

ख़्वाब ए अमन - ज़िंदगी भर देखता रहा था वो
अरमां बाकि रह गया सीने में - जब दफ़न हुआ वो

तुम लिखो कि तुम्हें पढ़ना अच्छा लगता है
और लिखते हैं औरों में बुराई बताने के लिए





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