क्या पा लेना है - खो क्या देना है
पैदा हुए इंसान - इंसान बने रहते
जरा हुई हैसियत से ख़ुद को ऊँचा समझते थे हम
'दरबार ए इंसानियत' में मगर नाटे साबित हुए हम
थोड़ी उपलब्धियाँ मिली अपने को ऊँचा मान बैठे हम
मानवता के मंदिर में मगर स्वयं का बौना पाया हमने
पैदा हुए इंसान - इंसान बने रहते
जरा हुई हैसियत से ख़ुद को ऊँचा समझते थे हम
'दरबार ए इंसानियत' में मगर नाटे साबित हुए हम
थोड़ी उपलब्धियाँ मिली अपने को ऊँचा मान बैठे हम
मानवता के मंदिर में मगर स्वयं का बौना पाया हमने
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