मालूम होता कि-उसका जाया शैतान बनेगा
ज़िंदगी नहीं-किसी की वह मौत बनेगा
नौ माह उसके लिए-न दर्द झेलती वह
इंसानियत,शर्मसार करती-जो तारीख बनेगा
रुलाते किसी माँ को
जो असलहा-हथियार ईजाद ना होते
ग़र उन्हें उठाने को
कोई हाथ तैयार नहीं होते
ज़िंदगी नहीं-किसी की वह मौत बनेगा
नौ माह उसके लिए-न दर्द झेलती वह
इंसानियत,शर्मसार करती-जो तारीख बनेगा
रुलाते किसी माँ को
जो असलहा-हथियार ईजाद ना होते
ग़र उन्हें उठाने को
कोई हाथ तैयार नहीं होते
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