Thursday, October 9, 2014

कंप्यूटर साइंस की भाषा में

कंप्यूटर साइंस की भाषा में
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सॉफ्टवेयर (Software )
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संस्कृति और संस्कार उस सॉफ्टवेयर(एप्लीकेशन)  जैसे होते हैं  जिसके होने से कंप्यूटर इनपुट पढता है , प्रोसेस करता है और आउटपुट देता है ।
सॉफ्टवेयर में बग होने पर प्रोसेसिंग और रिजल्ट त्रुटिपूर्ण (इन-करेक्ट) होते हैं। इसलिए जिस प्रकार सॉफ्टवेयर की उत्कृष्टता , सही परिणाम की गॉरंटी सुनिश्चित करती है उसी तरह 'संस्कृति और संस्कार' में उत्कृष्टता के होने से सुखमय जीवन सुनिश्चितता का परिणाम प्राप्त होता है।
हार्डवेयर (Hardware)
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"व्यवस्था और बाह्य वैभव" उस कंप्यूटर हार्डवेयर जैसे होते हैं , जिसमें सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन के बाद कंप्यूटर की तीव्रता का लाभ मिल सकता है।  जब हार्डवेयर  सॉफ्टवेयर दोनों ही उत्कृष्ट होते हैं तब ही मानवता और सभ्यता विकसित होती है।
बाह्य वैभव की अति होने से पाश्चात्य देशों में सुविधा और भोग लोलुपता बढ़ गई है . कह सकते  हैं , हार्डवेयर डिफेक्टिव हो चला है या अति एडवांस  हो गया है । वहाँ पारिवारिक प्रेम समाप्त होता जा रहा है। जिससे व्यक्ति कई अवसरों पर बिलकुल एकाकी अनुभव करता है , उसे निस्वार्थ चाहने वाला अपना कोई आसपास नहीं दिखता है।
ऐसे में भारतीय संस्कृति की उत्कृष्टता उन्हें स्मरण में आती है। जिसमें परस्पर त्याग -दया का भी फ्लेवर होने से भाईचारा और आपसी प्रेम (अनेकों रिश्तों में ) प्रवाहित रहता है। जिसमें मुश्किल की घड़ियों में भी जीवन में कोई असहाय अकेला अनुभव नहीं करता है।
बैकवर्ड कम्पेटिबिलिटी (Backword Compatibility)
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पाश्चात्य देशों में उल्लेखित हार्डवेयर एडवांसमेंट के कारण , बैकवर्ड कम्पेटिबिलिटी इशू होने से भारतीय संस्कृति रूपी सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन संभव नहीं रह गया है।
वायरस अटैक ((Virus Attack)
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हम  उत्कृष्टता का लाभ लेते रह सकें इसके लिए आवश्यक है कि अपने पास उपलब्ध सॉफ्टवेयर ( भारतीय संस्कृति ) में बाह्य ख़राब प्रभाव का आक्रमण (वायरस अटैक) ना होने दें।
अन्यथा वहां हार्डवेयर डिफेक्टिव और यहाँ सॉफ्टवेयर डैमेज। सच्चा जीवन सुख कहीं भी न रहेगा। तब -
"कहाँ रहने की सलाह देंगे हम , अपनी नई (आने वाली ) पीढ़ी को ?"
--राजेश जैन
09-10-2014

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