बचपन
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घर आँगन और पास पड़ोस ही
मेरे बचपन की पूरी दुनिया थी
माँ आँचल और पापा गोद में
सुखद बीतती सुबह शाम होती थी
माँ -पापा ही रहे भगवान मेरे
टीचर महान बचपन के सच होते थे
जन्मी कहीं पली जबलपुर में
नहीं कोई जीवन सपने तब सजे थे
छोटे से मन और हाथ पाँव के
चंचल छोटे छोटे खेल होते थे
माँ आँचल पापा हाथ सिर पर मेरे
कटु जीवन यथार्थ से परे रखते थे
माँ खिलाती गोद बिठाकर वही
सबसे स्वादिष्ट और मीठे लगते थे
बीत रहा है अब बचपन मेरा
संसार जीवन बड़ा दिख रहा है
सच्चाई ,निर्मलता जो बचपन सी
मन में मेरे जीवन मै रखना चाहूंगी
आ बसा जो सपना अब मन में
भारत नाट्यम में दक्षता दिखाऊँगी
-- राजेश जैन
18-10-2014
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घर आँगन और पास पड़ोस ही
मेरे बचपन की पूरी दुनिया थी
माँ आँचल और पापा गोद में
सुखद बीतती सुबह शाम होती थी
माँ -पापा ही रहे भगवान मेरे
टीचर महान बचपन के सच होते थे
जन्मी कहीं पली जबलपुर में
नहीं कोई जीवन सपने तब सजे थे
छोटे से मन और हाथ पाँव के
चंचल छोटे छोटे खेल होते थे
माँ आँचल पापा हाथ सिर पर मेरे
कटु जीवन यथार्थ से परे रखते थे
माँ खिलाती गोद बिठाकर वही
सबसे स्वादिष्ट और मीठे लगते थे
बीत रहा है अब बचपन मेरा
संसार जीवन बड़ा दिख रहा है
सच्चाई ,निर्मलता जो बचपन सी
मन में मेरे जीवन मै रखना चाहूंगी
आ बसा जो सपना अब मन में
भारत नाट्यम में दक्षता दिखाऊँगी
-- राजेश जैन
18-10-2014
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