Saturday, October 25, 2014

रेप -कौन जिम्मेदार ?

रेप -कौन जिम्मेदार ?
-----------------------
राजनीतिज्ञ या अन्य चर्चित व्यक्तियों के वक्तव्य और टिप्पणियों में अनेकों बार रेप के लिये पीड़िता को  जिम्मेदार बता दिया जाता है। साधारण व्यक्ति की हजार भली बातें ,भले आचरण या कर्म मीडिया के कवरेज से चूक जाते हैं , किन्तु किसी राजनीतिज्ञ या अन्य चर्चित व्यक्तियों की ऐसी बातें चैनलों पर विस्तार से चर्चा पाती हैं . जिसमें ठंडा होने की परिणिति पर पहुँचने के पहले तक श्रोता और दर्शक का बहुत समय, बिना समस्या के समाधान किये व्यर्थ किया जाता है।
चर्चित व्यक्तियों का ऐसा कहने के पीछे अपने तर्क और पारम्पारिक पुरुष प्रधान सोच होती है। कहीं-कहीं चर्चा में बने रहना या उभरना भी लक्ष्य होता है।  नारी संगठनों में और मीडिया पर हर ऐसी टिप्पणी पर बवाल मचता है। फिर नारी पर अगले किसी अत्याचार के चर्चित होने तक के लिये शांति छा जाती है। जबकि नारी के अत्याचारों की विडंबना यह है कि हर मिनट कहीं ना कहीं , किसी ना किसी तरह का अत्याचार उस पर होता है। लेकिन किसी की वेदना से भी लाभ अर्जित कर लेने की आज की दुष्प्रवृत्ति के चलते , इनमे से बिरले ही कुछ मीडिया पर चर्चित होते हैं , जिनसे मीडिया को आर्थिक लाभ मिलने की संभावना होती है।
रेप क्या है? और कौन जिम्मेदार हैं ?
-------------------------------------
लेखक की दृष्टि में पति -पत्नी के रिश्ते में (वह भी परस्पर सहमति से ) को छोड़ कर किया गया हर सेक्स , रेप होता है। जिस सम्बन्ध को समाज में सार्वजानिक रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता ऐसे संबंध में नारी की तात्कालिक सहमति से किया सेक्स भी रेप ही होता है , क्योंकि इन संबंधों की जानकारी समाज में हो जाने पर  कठिन और विपरीत प्रभाव नारी जीवन पर ही पड़ता है, लिप्त पुरुष  पर नहीं पड़ता है।
जहाँ नारी सहमति ना हो वहाँ किया गया सेक्स तो निश्चित ही रेप है और इसके लिए जिम्मेदार, करने वाला पुरुष है . क्योंकि यह अत्याचार है जो पुरुष के द्वारा किया गया है। किन कारणों से पुरुष इस अत्याचार को प्रेरित हुआ है यह विचारणीय कतई नहीं है , क्योंकि अत्याचार हर परिस्थिति में निंदनीय है।  और मानव सभ्यता पर कलंक है।  पुरुष अपने अनियंत्रित होने का दोष किसी भी तर्क पर नारी पर डाले यह न्यायोचित नहीं है।
निहत्थे पर हथियार से वार जिस तरह न्याय नहीं माना जाता , उसी तरह नारी को सम्मान और सुरक्षा (सुरक्षा बोध ) नहीं दिलाते किया गया संबंध रेप है। नारी इन  संबंधों के साथ तब ही सुरक्षित और सम्मानित है जबकि वे विवाह उपरान्त पति -पत्नी के बीच हैं।
यद्यपि पीड़ित नारी को सुरक्षा और सम्मान , समाज में होना चाहिये। क्योंकि ऐसा शोषण एक बलवान का शक्तिहीन पर होता है। शक्तिहीन से संवेदना  और क्षमा होनी चाहिये। और बलवान का अपराध अक्षम्य होना चाहिये , किसी भी तर्क से बचाने की चेष्टा ही अपराध का दुस्साहस बढ़ा देता है।


--राजेश जैन
25-10-2014

No comments:

Post a Comment