Thursday, October 2, 2014

कोई कैमरा ऐसा नहीं है

कोई कैमरा ऐसा नहीं है
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हम पर फोकस कर क्लिक की जाये और फोटो किसी फ़िल्मी / प्लेयर की आये कोई कैमरा ऐसा नहीं होता है। हमें जो मुख मिला है श्रृंगार के साथ उसे कुछ ज्यादा अच्छा तो दिखाया जा सकता है। किन्तु , यदि किसी फ़िल्मी जैसा दिखना है तो वह मुखौटे को मुख पर चढ़ा लेने के बाद ही संभव है।  मुखौटा लगाकर हम अपनी पहचान बदलें , ये किसी पात्र को स्टेज करने के लिए ही ठीक  होता है।

वास्तविक जीवन में साधारण तौर पर कलंकित चेहरा ही मुखौटे के पीछे छुपाया जाता है। हम अगर खोटे काम नहीं करते तो मुख छिपाने की हीनता हममें नहीं होनी चाहिए। साधारण मुख भी , उत्कृष्ट कार्य के साथ दुनिया को अति प्रिय होते हैं।  हमारे पूर्व में रहे राष्ट्रपति ,अपने उत्कृष्ट कार्यों के कारण अपने सामान्य से चेहरे के साथ लोकप्रिय हैं उन्हें देखकर या उनका चित्र देख कर हम श्रध्दानत ही होते हैं।

फेसबुक पर अनेकों id फ़िल्मी चेहरों के साथ बनी हैं। उन्हें देखकर किसी को श्रध्दा नहीं आती बल्कि कोई छिछोरा उसके पीछे हो सकता है , यह शंका होती है। जो अपनी पहचान इन मुखौटों में छिपाये भले ही वह भला हो अपरिचितों में इम्प्रैशन छलिये (हलकट) का ही बनाता है। 
किसी नारी को तो लेखक अनिवार्य नहीं करता , क्योंकि उनकी फोटो का बुरा प्रयोग नेट पर होते देखा है , अतः उनपर छोड़ता है  कि वे अपनी सौम्य छवि को प्रोफाइल पिक बनायें या कोई मुखौटा लगायें।  लेकिन पुरुष साथियों को अपनी वास्तविक पहचान के साथ ही आना चाहिये। किसी अच्छे मंतव्य से अपनी फोटो ना भी डालें तब भी कमसे कम फ़िल्मी चेहरों से तो बचना ही चाहिए।

लेखक किसी भी फ्रेंड रिक्वेस्ट को प्रायः एक्सेप्ट करता है , किन्तु फ़िल्मी चेहरे वाली id से आये रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट नहीं कर पाता है।

एक बार सोचें हमारा क्या इम्प्रैशन जाता है , जब हम अपनी पहचान छिपा के किसी के सामने जाते हैं ?

-- राजेश जैन  
02-10-2014

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