Saturday, October 18, 2014

आज

आज
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लिखती बहुत वजनी लेखनी मेरी
विचार आया लिखूँ हल्का सा आज

पल पल बीतता व्यस्तताओं में गुँथकर
भूल उन्हें हर पल में जियें खुशियाँ आज

खुशियाँ कुछ जी लें अपने लिये हम
बाँटे कुछ खुशियाँ वंचितों में भी आज

नित नहीं तो मिल पायेंगे वे और हम
जो संयोगों से मिल रहे सभी हैं आज

हम हैं वे न होंगे या वे होंगे हम कल नहीं
सहारा दे-ले कर खुशी के पल जियें आज

--राजेश जैन

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