Tuesday, October 7, 2014

पीड़ा ना होगी

पीड़ा ना होगी
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खाने और धन कमाने के लिये कुछ जीते हैं
जीवन के लिये खाते और धन कुछ कमाते हैं
कोई चालीस और कोई पचास के हुए  हैं
ऐसे ही हम चवपन साल के अब हुए हैं

कुछ के लिए रुक चुका है
कलैंडर के बढ़ने का क्रम
एक दिन सब के लिए रुकता है
रुक जाएगा कभी अपने लिए भी 

लेकिन कलैंडर तब भी नित दिन
आता ही रहेगा नई दिनाँक लिए
क्या आने जाने वाले इन दिनों में
ऐसा भी आएगा कभी वह समय ?

जब किसी भी दिन नारी या लाचार पर
अत्याचार और शोषण ना कोई करेगा

बहते हैं अश्रु नयनों के होने से
नैन हैं अतः वे बहते भी रहेंगे
किन्तु कोई अश्रु किसी के
किसी को सताने पर ना बहेंगे

तब होंगे या ना होंगे मित्रों हम
सताये गए की आह भरने से या
ऐसे सजल नयनों को देखने से 
असहनीय हमें पीड़ा ना होगी

-- राजेश जैन
06-10-2014


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