Saturday, October 5, 2019

आत्महत्या ..

आत्महत्या ..

एम्स एंट्रेंस में असफल होने पर अवसाद ग्रस्त हो शैलेष चार दिनों में घर में और ज्यादातर अपने कमरे गुमसुम पड़ा रहा. पापा, माँ और बड़ी बहन जीवनी ने प्यार दुलार से बहुत समझाया था मगर शैलेष कोई जबाब ही नहीं देता था। डॉकघर में क्लर्क पापा हर वक़्त कहते आये थे, 'शैलेष', मैं नहीं हासिल कर सका वैसी उपलब्धियाँ तुम्हें हासिल करना है। 12 वीं में 98% स्कोर करने वाले शैलेष से एम्स में प्रवेश लेने में सफल होने की उम्मीदें पूरे घर को हो गईं थीं। इस सब में शैलेष को ग्लानि और गहन दुःख हो रहा था कि उसने सब को निराश किया है। वह किसी से अपनी मानसिक हालत भी नहीं बता रहा था। पाँचवे दिन शाम को उसे तैयार हो बाइक से घर के बाहर निकलते देख घर में सभी खुश हुए थे कि चलो, बाहर घूम के आएगा तो मन बहलेगा और वह सामान्य हो सकेगा। इधर शैलेष निरुद्देश्य शहर की सड़कों पर बाइक दौड़ाता रहा, फिर एक शॉप में 'परामर्श' का बोर्ड पढ़ वहाँ रुका, बाइक पार्किंग में खड़ी कर शॉप में प्रवेश किया तो एक साधारण टेबल के पीछे एक साधारण से दिखने वाले प्रौढ़ व्यक्ति को अकेले बैठे देखा। उनसे संकेत मिलने पर सामने रखी फाइबर कुर्सी पर बैठा और प्रौढ़ व्यक्ति की अपने पर निहारती प्रश्न वाचक दृष्टि को भाँप शैलेष ने उनसे पूछा, सर आप परामर्श देते हैं?  प्रौढ़ व्यक्ति ने हाँ में सिर हिलाते हुए अपने परिचय में बताया, मैं प्रदीप सिंह हूँ, बताइये आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ? शैलेष ने अपना नाम बताते हुए कहा मैं आज ही सुसाइड करना चाहता हूँ, आप मुझे इसका सबसे अच्छा और आसान तरीका बताइये.

प्रदीप अप्रत्याशित इस बात को सुन एक पल हतप्रभ रह गए फिर स्वयं को नियंत्रित कर जबाब में बोले हाँ, सुसाइड के आसान तरीके का परामर्श मैं आपको दूँगा।
अब चौंकने की बारी शैलेष की थी. प्रश्न पूछते हुए उसे आत्महत्या न करने के संबंध में समझाये जाने के प्रत्युत्तर की प्रत्याशा थी। कुर्सी में तनिक पहलू बदल कर शैलेष ने अधीर हो, फिर कहा- बताइये सर तरीका क्या होगा?
तब प्रदीप बोले - सब में आसान तरीका है - आप इसी समय अपने को मरा हुआ मान लीजिये। इस प्रकार अब जो मेरे समक्ष बैठा है वह शैलेष नहीं, शैलेष का जिन्न है जो प्रदीप सिंह के आदेश के अधीन काम करता है।
इस जबाब से उस घड़ी शैलेष को अपना अवसाद विस्मृत हो गया. उसे प्रदीप सिंह का अंदाज बेहद रोचक लगा उसकी उत्सुकता प्रदीप आगे क्या कहते हैं, इस बात की तरफ बढ़ी। उसने थोड़े परिहास मिश्रित मुद्रा में कहा - हुक्म दीजिये मुझे, मेरे आका।
तब प्रदीप जी ने कहा आगे मैं आपको जो कहने जा रहा हूँ उसके एक एक  शब्द को ध्यान से सुनो। अगले एक महीने तुम्हें इस अनुसार रहना और करना है।
हर रात 8 बजे आपको दिन भर का ब्यौरा मुझे आकर बताना है फिर अपने घर जाना है और हर सुबह 9 बजे काम पर निकलना है. महीने भर यह स्मरण रखना है कि शैलेष आत्महत्या कर चुका है और मेरे आदेश के अधीन जो काम कर रहा है वह मरने के बाद शैलेष, जिन्न अवस्था में है। प्रतिदिन 9 बजे सुबह से रात 8 बजे तक आपको करना ये काम है , फिर प्रदीप सिंह कहते गए और मंत्रमुग्ध शैलेष सुनता रहा ...

.... आगे जारी
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
30-09-2019


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