Thursday, October 17, 2019

शादी का झाँसा देकर .....

शादी का झाँसा देकर ..... 

गुलाबी गद्दे बिछे थे, सुनहरे गाव तकिये लगे हुए थे, चार लड़कियाँ और दो लड़के उन पर अपनी, अपनी जगह बैठ गये थे। परदा अभी खुला नहीं था। पर्दे के उस तरफ उद्घोषिका कह रही थी। इस वार्षिक साँस्कृतिक आयोजन में अब हम एक गोष्ठी का मंचन कर रहे हैं , जो नवयुवतियों और किशोरवया छात्राओं में चेतना जगाने की दृष्टि से मंचित की जा रही है। दैनिक अख़बारों को अगर आप पलट कर देखें तो ऐसा कोई दिन नहीं होता जिसमें 'शादी का झाँसा देकर दुराचार' तरह के शीर्षक से कोई घटना नहीं छपी हो। आज के 'समाज माडेल' की इस बड़ी बुराई पर गोष्ठी में भाग ले रहे छात्र-छात्राओं के नाम हैं क्रमशः - भारती, सुविधि, दीपा, नयना, प्रशांत और फारुख।
उद्घोषिका यह कहते हुए, जाती है. तब पर्दा उठता है ....
फारुख अपने मित्रों को अखबार की एक खबर दिखाते हुए कहता है - यार, तुम्हें अजीब नहीं लगता, कोई लड़की महीनों शारीरिक संबंध सहमति से करती है, फिर शादी का दबाव बनाती है, सफल नहीं होने पर दुराचार का आरोप लगा कर थाने में रिपोर्ट लगा देती है। 
नयना तीखी प्रतक्रिया में भृकुटि पर बल देकर कहती है - इसमें अजीब क्या है, अगर लड़के ने शारीरिक संबंध बनाये हैं तो उसे शादी करनी ही चाहिए।  हमारी सँस्कृति शारीरिक संबंध , सिर्फ पति-पत्नी में उचित कहती है। 

इस पर प्रशांत पूछता है - फिर पति-पत्नी होने के पूर्व क्यूँ राजी होती है कोई लड़की, अजीब नहीं है यह?
सुविधि गुस्सा प्रदर्शित करते हुए - वाह, प्रशांत यानि जिम्मेदारी सिर्फ लड़की की है। लड़का प्रेम दिखावा करते हुए, क्यूँ फुसलाता है ऐसा करने के लिए?
फारुख हँसते हुए - आप क्या कहना चाहती हैं, लड़की संबंध के लिए कभी चिरौरी नहीं करती है?
भारती असहमति के भाव दर्शाते हुए - हाँ, ज्यादातर केसेस में लड़की शुरुआत नहीं करती, हमारे पारिवारिक सँस्कार आज भी हम लड़कियों के लिए इस मर्यादा में रहने के हैं।
प्रशांत - तो फिर लड़कियां क्यूँ मिलतीं हैं अकेले में लड़कों से?
दीपा, प्रशांत की ओर देखते हुए - अगर मुझे तुमसे प्रेम हो जाए और मेरा दिल प्रेम इजहार को चाहे तो क्या मैं, इतने दर्शकों के बीच कहूँ कि 'प्रशांत, मुझे तुमसे लव हुआ है?'
मंच और दर्शक सभी इस बात पर अनायास हँसते हैं। दर्शक दीर्घा के तरफ से एक कमेंट सुनाई पड़ता है, नहीं दीपा, मोबाइल पर कहना।
कमेंट अनसुनी करते हुए सुविधि, प्रशांत से पूछती है - अगर दीपा तुमसे प्रेमवश अकेले में मिलने लगे तो क्या इसका अर्थ तुम यह लगाओगे कि वह तुमसे संबंध को आतुर है?
प्रशांत - जी, बिलकुल नहीं। लेकिन नशे में मैं बहक जाऊँ और प्रतिरोध वह भी न करे तो, संबंध हो जाना आशंकित तो होगा।
नयना- प्रेमवश अगर दीपा अकेले में तुमसे मिले तो तुम नशा क्यूँ करोगे। तुम्हें उसकी भावना की कदर नहीं होनी चाहिए ?
सुविधि धिक्कार भरे स्वर में - वाह, अभी पिताजी के धन पर पलते-पढ़ते-बढ़ते हो उसमें नशा भी करोगे और बलात्कार भी करोगे, क्या कहूँ इस नीच सोच पर मैं? 
फारुख- जो प्रेम होने पर संबंध किया जाए उसे बलात्कार नहीं कहते।
दीपा - प्रेम है, संबंध भी है फिर विवाह की बात आये तो इंकार कैसा?
प्रशांत- प्रेम उस समय का सच होता है, बाद में उससे अच्छी लड़की से प्रेम हो जाने पर, विवाह से इंकार किया जाता है। आखिर विवाह तो एक से ही संभव होगा ना?
फारुख - और फिर लड़के के दिल में शंका भी तो आ जाती है कि मुझसे संबंध कर बैठी यह लड़की किसी और से भी संबंध कर सकती या कर चुकी होगी.
इस पर तीव्र प्रतक्रिया के साथ भारती ने कहा -  तुम तो चुप ही रहो फारुख, तो अच्छा है. अपनी बहनों को तो बुर्के से बाहर की आज़ादी नहीं देते हो, यहाँ विवाह पूर्व संबंधों पर सवाल करते हो कि जिसने तुमसे संबंध किया और किसी से भी रखती हो सकती है। तुम एक से अधिक संबंध करलो माफ़ है तुम्हें, लड़की ने किये, न भी किये पर तुम्हें संदेह होता है, धिक्कार है तुम पर।
प्रशांत - सुनो लड़कियों, तुम यही क्यों मानती हो कि विवाह पूर्व जिनमें संबंध हुए हैं, ऐसे सारे लड़के, उन लडकियों से शादी को इंकार करते हैं, सौ में से पचास ऐसे प्रेमियों के विवाह भी तो होते हैं।
दीपा - मालूम है तुम्हें प्रशांत कि ऐसे 100 प्रेम किस्से भी तो हैं जिनमें विवाह पूर्व कोई संबंध नहीं, फिर भी अस्सी में विवाह हो जाता है? तुम शादी पूर्व संबंध की वकालत में ही क्यूँ पड़े हुए हो?
प्रशांत - शादी पूर्व संबंध को वर्जित करनी वाली सँस्कृति, अब पुरानी है अब जीवन में पूरे मजे लेने की सँस्कृति है, हमारे सिने सितारों को देखो पचास पचास वर्ष तक खुद शादी किये बिना मजे लेते हैं, लिव इन रिलेशन में रहते हैं, बिग बॉस बना कमाते हैं।
नयना - फिर तुम ऐसी आजादी मुझे क्यूँ नहीं देते प्रशांत? कहते हुए प्रशांत की ओर देखती है।
प्रशांत कनखियों झाँकता है, उसे कोई उत्तर नहीं सूझता है।
तब नयना, कोई राज सा खोलते हुए कहती है, मालूम मित्रों प्रशांत मेरा जुड़वाँ भाई है. हम पहले दिन से एक ही परिवार में अपने बड़ों और मम्मी-पापा से एक सा लालन पालन और एक से सँस्कार पा रहे हैं। धिक्कार है कि मेरा यह भाई इतना गैर जिम्मेदार है, जो हमारे घर के गरिमामय संस्कारों को बिग बॉस तरह के प्रसारण को देख, भूल जाता है।
तब सुविधि खड़ी होती है, अब वह मंचासीन मित्रों से नहीं बल्कि दर्शक दीर्घा की तरफ मुखातिब हो कहती है - 

हमारे उपस्थित पालक और गुरुजनों और मेरे सहपाठी साथियों - हम सभी को मालूम है अगर पल्स पोलियो ड्राप न भी दी जाए तो 100 में से अस्सी बच्चों को पोलियो नहीं होता। लेकिन सभी 100 बच्चों को इसलिए वेक्सीनशन दिए जाते हैं ताकि 20% की आशंका खत्म हो सके. हमारा समाज आज भी अपने बेटों के दुष्कृत्यों पर शर्मिंदा नहीं होता। उसे शर्मिंदगी तब होती है, जब कोई बेटी प्रचलित मर्यादा को लाँघती है। माना कि हर उन प्रकरणों में धोखे नहीं जिनमें विवाह पूर्व संबंध हों, लेकिन 100 में से दस में भी धोखा होता है (अखबार के छपे समाचार को दिखाते हुए) जो हर दिन के समाचार से प्रमाणित है, तो हमें फुसलावों से बचना होगा। यह समाज विडंबना है कि जिंदगी के मजे लेना कहने वाले ऐसे प्रशांत या फारुख खुद तो इस नारे पर छह लड़कियों से संबंध रखेंगे। मगर अपनी पत्नी में उन्हें वह लड़की चाहिए होगी जो इस दृष्टि से सिर्फ उनकी हो। अतः तब हमें अपने जीवन पर मँडराती आशंका मिटाने के लिए विवाह पूर्व संबंधों के फुसलावों या फिसलन से बचना होगा। इस धोखे में हम न सिर्फ अपना जीवन अपितु अपने परिवार का जीवन अभिशापित करते हैं। हम इस प्रस्तुति में अदाकारा लड़कियाँ, यह आव्हान करते हैं कि इनके फुसलावों में ना आयें फिर देखें जीवन के मजे लेने को इच्छुक ये निपट स्वार्थी, कैसे मजे लेते हैं?
कहते हुए सुविधि अभिवादन की मुद्रा में हाथ जोड़ती है। सभी अन्य पात्र भी खड़े होकर यह करते हैं। दर्शक दीर्घा में तालियाँ की गूँज के बीच मंच पर पर्दा खिंचता है ....

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
18.10.2019






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