ख़ुद के लिए मर कर 'राजेश', औरों के लिए जो जीता है
लोगों के नज़रिये हारा वह, मानवता के नज़रिये जीता है
वह सूरज बनकर न छा जाना 'राजेश', कि दीपक को हीनता बोध हो
नन्हा दीपक ही है जो सूरज के न होने पर, गहन अंधकार मिटाता है
लोगों के नज़रिये हारा वह, मानवता के नज़रिये जीता है
वह सूरज बनकर न छा जाना 'राजेश', कि दीपक को हीनता बोध हो
नन्हा दीपक ही है जो सूरज के न होने पर, गहन अंधकार मिटाता है
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