Tuesday, October 16, 2018

गम हैं तो गमज़दा रहना फितरत है सबकी
और बात है कि दिखते हैं हम मुस्कुराते हुए

बर्दाश्त बाहर कभी - गम होता भी है
ना चाहते हुए भी - इंसान रोता भी है


अपनी खुशियों का इज़हार - हम नहीं करते हैं कि
नज़र आते यहाँ लाखों - रंजीदा और अफ़्सुर्दा हमें

गम जदा नज़र आना हमें यूँ मंजूर नहीं कि
कोई नहीं ऐसा जिसे हमारे ग़म की फ़िक्र है

अच्छे हों हालात - ख़्वाहिश सबकी होती है
अच्छे हालातों से मगर - उम्र लंबी होती है

ख्वाहिशें चाहे - अधूरी छूटतीं हैं
उम्र मगर - इकदिन पूरी होती है




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