Friday, October 5, 2018

मैं कब राख़ - कब ख़ाक होता हूँ ?
मैं सदा कायम - मैं तो इक रूह हूँ

गनीमत
ख्वाब की लाश दफन करने को जमीं नहीं लगती
वर्ना
हमारे ख़्वाबों को दफन करने को जमीं कम पड़ती


उनके लिए हमसे इश्क़ का मतलब तो - वही जानते होंगे
हम उनसे इश्क का मतलब - ज़िंदगी उनके नाम जानते हैं

जिन्हें
ख़ामोशी में हाल - बयां करना आता है
उन्हें
इश्क़ जताने के लिए - गुप्तगू जरूरी नहीं


गुप्तगू में बयां किया इश्क - बदलते हुए देखा है
खामोश जो इश्क करते - उन्हें बदलते नहीं देखा

उसे
इश्क़ में ना घसीटो - हया में रहने दो
उसे
दिल की मानने की - आज़ादी कब थी 

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