Monday, October 29, 2018

चलो कि
अब फिर नई सुबह आई है
सब जियें मोहब्बत से
हम उस सुबह के लिए काम करें


मुख़्तसर सी हयात की हसरत है हमारी
लेना देना सिर्फ मोहब्बत का हो जिसमें
(मुख़्तसर - संक्षिप्त , हयात - ज़िंदगी)

हैसियत कुछ भी बनी हो सब खो जानी है
हैसियत इतनी बने कि खोने का रंज न हो




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