Saturday, October 13, 2018

औरों में खराबियाँ देखने की आदत - यूँ ठीक नहीं कि
अच्छाई से नहीं हमारा - ख़राबियों से परिचय रहता है

चल रहे हैं इसलिए कि - ज़िंदगीं ने चलाये रक्खा है
ये बताती भी नहीं कि - किस मंजिल पर पहुँचना है

तुम्हारी उम्मीदों का घर , दोस्त -
गर टूट जाए सख़्त हकीकतों से
बनाना उम्मीदों का आशियाना फिर नया -
ज़िंदगी के लिए जरूरी है 

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